सामाजिक समता के महानायक जिन्‍होंने रचा था भारतीय संविधान

भारतीय राजनैतिक और सामाजिक परिदृश्‍य में डॉ भीमराव अंबेडकर वो व्‍यक्तित्‍व थे जिन्‍हें हम सामाजिक समता महानायक मान सकते हैं।

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भारतीय राजनैतिक और सामाजिक परिदृश्‍य में डॉ भीमराव अंबेडकर वो व्‍यक्तित्‍व थे जिन्‍हें हम सामाजिक समता महानायक मान सकते हैं। ये विडंबना है कि जिन्‍होंने हमारे देश के संविधान को मूल आधार दिया उसकी रचना की वह आज दलितों के मसीहा के रूप में जाने जा रहे हैं। जबकि वास्‍तविकता यह है कि उनकी सोच समग्र भारत के उत्‍सर्ग की थी और वे जीवन पर्यंत उसी कार्य में लगे रहे।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की पढ़ायी-

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। बचपन से उनके स्‍वभाव में वो सभी गुण थे जो एक पथप्रदर्शक में होने चाहिए। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भीमराव आंबेडकर को मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर 1913 में विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया।

अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन बाबा साहेब ने किया। डॉ. अंबेडकर ने अमेरिका में एक सेमिनार में ‘भारतीय जाति विभाजन’ पर अपना मशहूर शोध-पत्र पढ़ा, जिसमें उनके व्यक्तित्व की सर्वत्र प्रशंसा हुई।

1990 में मरणोपरांत भारत रत्‍न दिया गया-

डॉ. आंबेडकर के अलावा भारतीय संविधान की रचना हेतु कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुना गया। 26 नवंबर 1949 को डॉ. अंबेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।

अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु दिल्ली में नींद के दौरान उनके घर में हो गई। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भारतीय राजनैतिक और सामाजिक परिदृश्‍य में डॉ भीमराव आंबेडकर वो व्‍यक्तित्‍व थे जिन्‍हें हम सामाजिक समता महानायक मान सकते हैं। ये विडंबना है कि जिन्‍होंने हमारे देश के संविधान को मूल आधार दिया उसकी रचना की वह आज दलितों के मसीहा के रूप में जाने जा रहे हैं। जबकि वास्‍तविकता यह है कि उनकी सोच समग्र भारत के उत्‍सर्ग की थी और वे जीवन पर्यंत उसी कार्य में लगे रहे।

ambedkar

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की पढ़ायी-

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई की चौदहवीं संतान के रूप में हुआ था। बचपन से उनके स्‍वभाव में वो सभी गुण थे जो एक पथप्रदर्शक में होने चाहिए। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भीमराव आंबेडकर को मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर 1913 में विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया।

अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन बाबा साहेब ने किया। डॉ. अंबेडकर ने अमेरिका में एक सेमिनार में ‘भारतीय जाति विभाजन’ पर अपना मशहूर शोध-पत्र पढ़ा, जिसमें उनके व्यक्तित्व की सर्वत्र प्रशंसा हुई।

1990 में मरणोपरांत भारत रत्‍न दिया गया-

डॉ. आंबेडकर के अलावा भारतीय संविधान की रचना हेतु कोई अन्य विशेषज्ञ भारत में नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. आंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुना गया। 26 नवंबर 1949 को डॉ. आंबेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।

अंबेडकर डाायबटीज से पीड़ित थे। 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु दिल्ली में नींद के दौरान उनके घर में हो गई। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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