युवक की हत्या के बाद डर से ‘पलायन’ कर रहे हैं दलित

0

मेरठ जिले के एक गांव की गलियों और सड़को में इन दिनों सन्नाटा (silence) पसरा हुआ है। चारो तरफ भय का महौल का है। लोग अपने घरों से बाहर नही निकल रहे है। कुछ लोग अपना घर और गांव छोड़ दूसरे गांव और शहर की ओर पलायन कर रहे है। दरअसल, एससीएसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ मेरठ में हुए दलितों के प्रदर्शनकारियों में की एक सूची जारी की गई थी इस सूची में सबसे ऊपर 28 साल के दलित युवक गोपी का नाम था।

उच्च जाति के लोगों पर इसके लिए आरोप लगा रहे हैं

इसके दो दिन बाद ही गोपी को गोली मार के मौत के घाट उतार किया गया था। यूपी के मेरठ जिले के शोभापुर गांव में इन दिनों मातम पसरा हुआ है। यहां पर सौ से ज्यादा घरों के सदस्य 28 साल के दलित युवक गोपी पारिया की मौत से उदास हैं। एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर हुए भारत बंद के दौरान मेरठ के हिंसक प्रदर्शनकारियों की लिस्ट में गोपी का नाम सबसे ऊपर लिखा गया था जिसके दो दिन बाद गोपी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।यह अभी स्पष्ट नहीं है कि सूची किसने तैयार की थी लेकिन गांव में दलित वर्ग के लोग उच्च जाति के लोगों पर इसके लिए आरोप लगा रहे हैं।

Also Read :  जिग्नेश की युवाओं को सलाह, PM की रैली में उछालो कुर्सियां

स्थानीय दलित परिवारों का कहना है कि क्षेत्र में गोपी के बढ़ते प्रभाव से कुछ लोग असहज थे। उनका दावा है कि उच्च जाति के लोगों द्वारा कड़ा संदेश देने के लिए गोपी को बदले की आग में मारा गया। इस लिस्ट में दूसरे दलित युवकों का भी नाम है जिन्हें स्थानीय पुलिस को सौंपा गया था। गोपी की हत्या के बाद उनके मन में भी डर बैठ गया है और इसलिए वह हमलों के डर से गांव छोड़ कर जा रहे हैं। जो दलित युवक यहीं पर रुके हुए हैं उनका कहना है कि वह 14 अप्रैल को प्रतिरोध की भावना को जिंदा रखने के लिए आंबेडकर जयंती मनाएंगे।

शोभापुर गांव के रहने वाले 41 वर्षीय अशोक कुमार का कहना है, ‘गोपी की हत्या और हमारे बच्चों के गांव छोड़कर जाने की वजह से इस बार 14 अप्रैल का आयोजन पहले जैसा नहीं होगा। लेकिन अगर हम आंबेडकर जयंती नहीं मनाएंगे तो यह उच्च जाति के लोगों की दूसरी जीत जैसी होगी। हम इसे होने नहीं देंगे।’ बता दें कि 4 अप्रैल की देर शाम शोभापुर निवासी गोपी पारिया को गांव में गोली मार दी गई थी।

दलित युवाओं को लीड करता देखा गया था

उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसकी मौत की खबर मिलते ही जिला प्रशासन ने मामले की संवेदनशीलता को भांपते हुए गांव में आरएएफ, पीएससी और कई थानों की पुलिस तैनात कर दी गई थी। गोपी की हत्या को लेकर दलित व गुर्जर्रो का अपना-अपना पक्ष है। गांव में 90 फीसदी दलित आबादी है। 30-32 परिवार गुर्जरों के है। शेष 10-12 परिवार अन्य जाति के हैं। दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान मृतक गोपी गांव के दलित युवाओं को लीड करता देखा गया था।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More