कब तक रुकेंगी भारत में ट्रेन दुर्घटनाएं

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सुरेश प्रभु की रेल एक बार फिर पटरी से उतरती सी दिख रही है। अक्सर कहीं न कहीं ट्रेन दुर्घटनाओं की खबरें लगभग रोज ही आ रही हैं। देश में रेल दुर्घटनाएं क्यों होती हैं, इसकी वजह किसी से छुपी नहीं हैं।

हर साल सैकड़ों लोग ट्रेन दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं। जब भी कोई हादसा होता है, यह मुद्दा गरमा जाता है। अखबारों में कई लेख आदि आते हैं। सरकारों का मुआवजे का ऐलान होता है। और फिर सब कुछ ठंडा पड़ जाता है।

यहां यह बताना जरूरी है कि रेल दुर्घटनाओं का असर बाकी किसी भी हादसे से कई गुना ज्यादा होता है। इसका सीधा कारण यात्रियों की बड़ी संख्या है। भारत में अंतर्देशीय परिवहन के लिए रेल सबसे बड़ा माध्यम है। हर रोज सवा दो करोड़ से भी ज्यादा यात्री सफर करते हैं।

इन हादसों पर अब तक जो विश्लेषण हुआ है उनमें पाया गया है कि 80 फीसदी दुर्घटनाएं मानवीय चूक के कारण होती हैं। इसका आधे से ज्यादा बड़ा हिस्सा मानवरहित क्रॉसिंग पर ही घटित होता है।
देश में दो वर्ष पहले तक 30 हजार से भी ज्यादा रेलवे क्रॉसिंग थे। उनमें 11563 मानवरहित और 18785 दूसरे रेलवे फाटक थे।

भारतीय रेलवे में इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के लिए गर्मी में ट्रैक का फैलना और सर्दियों में सिकुड़ना किसी दु:स्वप्न से कम नहीं है। 2014 में इस बात का उल्लेख रेलवे के एक आंतरिक ज्ञापन में किया गया था।
समस्या केवल यही नहीं है, फं ड की भी कमी है। बेकार हो चुकी गाड़ियों को ट्रैक से बाहर करने के लिए फंड की जरूरत है। इन हादसों में गाड़ियों और ट्रेनों के टकराने के भी मामले हैं। रेलवे फंड और निवेश की कमी से बुरी तरह जूझ रहा है। रेलवे सुरक्षा के नाम पर निवेश में भारी कमी है। पिछले साल एक रिपोर्ट में स्वीकार भी किया गया था कि सुरक्षा को लेकर रेलवे में जितना निवेश होना चाहिए उतना नहीं हो रहा है।
भारतीय रेल के इतिहास में पहली ट्रेन दुर्घटना 25 जनवरी 1869 को हुई थी। यह हादसा पुना-बंबई मार्ग के भोरघाट में हुआ था।

सबसे बड़ी दुर्घटना 6 जून 1981 को बिहार में मानसी-सहरसा के बीच बागमती नदी में ट्रेन गिर जाने से लगभग 800 लोग मारे गए थे।

रेल दुर्घटना के कारण इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री लालबहादुर शास्त्री थे।

हाल में ही देश में बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की गयी है। इसके साथ ही पैसेंजर्स की सुविधा बढ़ाने और स्टेशनों पर वाई-फाई का भी वादा किया गया है। हालांकि लोगों का कहना है कि सरकार को पहले लोगों की सुरक्षित यात्रा पर ध्यान देना चाहिए।

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