लॉकडाउन : सब कुछ ठीक हो जायेगा, लोगों में है आशा

कोविड-19 बाद सामान्य जीवन को लेकर 66 प्रतिशत लोग आशावान

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नई दिल्ली : अधिकांश लोग Hopeful हैं कि लॉकडाउन खुलने के ​बाद धीरे—धीरे जिंदगी पटरी पर आ जायेगी।

ट्रैक पर लौट आएगी जिंदगी

देश में ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित और विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, आय व आयु वर्ग के 48 से 66 प्रतिशत लोगों Hopeful हैं कि कोविड-19 का प्रकोप खत्म हो जाने के बाद जीवन सामान्य ढर्रे या ट्रैक पर लौट आएगा। यह बात आईएएनएस-सीवोटर कोविड ट्रैकर सर्वे में सामने आई है। सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 48.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ‘बहुत आशान्वित’ Hopeful हैं कि जब खतरनाक वायरस चला जाएगा तो उनके स्वयं के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों का जीवन भी सामान्य ट्रैक पर वापस आ जाएगा। वहीं 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इस मुद्दे पर ‘कुछ Hopeful हैं’ और 7.1 प्रतिशत ने कहा कि वे ‘बहुत Hopeful नहीं हैं’।

अनेक लोगों को आशा नहीं

हालांकि इस तरह की सोच रखने वाले लोगों की संख्या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बढ़ी हुई देखी गई, जहां 56.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ‘बहुत Hopeful’ हैं, 25.1 प्रतिशत ‘कुछ Hopeful’ हैं और 7.4 प्रतिशत ‘बहुत आशान्वित’ नहीं हैं।

वहीं इस मुद्दे पर शहरी क्षेत्रों के लोग काफी आशावादी नजर आए। यहां 58.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे ‘बहुत आशान्वित’ हैं कि उनका जीवन प्रकोप के बाद वापस पटरी पर आ जाएगा, जबकि 25.9 प्रतिशत ने कहा कि वे ‘कुछ आशान्वित’ हैं और केवल 2.4 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें अभी इसकी कोई खास उम्मीद नहीं है।

उच्च शिक्षित लोग आशान्वित

उच्च शिक्षित लोग सामान्य जीवन के बारे में बहुत आशान्वित नजर आए हैं, जिनमें से 66.1 प्रतिशत लोगों ने सकारात्मक जवाब दिया है। वहीं इसके बाद 56.2 प्रतिशत मध्यम शिक्षा क्षेत्र और 55.4 प्रतिशत कम शिक्षा क्षेत्र वाले लोग पाए गए हैं।

इसी तरह उच्च आय वर्ग के 63.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे कोविड-19 के खात्मे के बाद सामान्य स्थिति के बारे में ‘बहुत आशान्वित’ हैं। इसके बाद मध्यम आय वर्ग में 58.6 प्रतिशत और निम्न आय वर्ग में 54 प्रतिशत लोग आशावादी नजर आए।

ईसाई बहुत आशान्वित

सामाजिक या समुदाय की बात करें तो 67.5 प्रतिशत ईसाइयों ने कहा कि वे ‘बहुत आशान्वित’ हैं। इसके बाद 61.5 प्रतिशत सिख, 61.1 प्रतिशत मुस्लिम, 59.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति (एसटी) और 58.5 प्रतिशत उच्च जाति के हिंदू (यूसीएच) लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद 55.4 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), 51.7 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 54.5 प्रतिशत अन्य श्रेणी से संबंधित लोगों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी।

क्षेत्र के पहलू से देखें तो देश के पूर्वी भाग में 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे महामारी के बाद के हालातों को लेकर ‘बहुत आशान्वित हैं’। वहीं उत्तर भारत में 58.5 प्रतिशत, पश्चिम में 57.8 प्रतिशत और दक्षिण में 51.1 प्रतिशत लोग आशावादी नजर आए।

महामारी से वृद्धों को सबसे अधिक चोट

महामारी से वृद्धों को सबसे अधिक चोट पहुंचने के बावजूद, 60 वर्ष की आयु से ऊपर के 60.5 प्रतिशत लोग ‘बहुत आशान्वित’ नजर आए हैं। उनका मानना है कि उनका जीवन सामान्य ट्रैक पर आ जाएगा। इसके बाद मध्यम आयु वर्ग (45 से 60 वर्ष) की श्रेणी में आने वाले 58.9 प्रतिशत लोग आशावादी दिखाई दिए, जबकि युवा आयु वर्ग (25 से 45 वर्ष) में आने वाले 55.3 प्रतिशत और फ्रेशर श्रेणी (25 वर्ष से कम) में 56.9 प्रतिशत लोग आशावादी दिखे।

वहीं अगर लिंग के आधार पर देखा जाए तो 58.6 प्रतिशत पुरुष और 55.2 प्रतिशत महिलाएं महामारी के बाद सामान्य जीवन के पटरी पर लौटने को लेकर आशावादी नजर आए।

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