ब्रजेश पर रहम और मुख्तार पर सितमः अफजाल

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बसपा के मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की औचक बीमारी और उसके बाद के घटनाक्रमों को लेकर उनका परिवार प्रदेश सरकार से बेहद नाखुश है। मुख्तार के बड़े भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी शुक्रवार की दोपहर लखनऊ स्थित अपने आवास पर मीडिया के सामने तफसील से बात रखे। साफ कहे कि सरकार की नीति दोहरी है। एक ओर बीमार मुख्तार के लिए पूरी बेदर्दी से पेश आई और दूसरी ओर मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह की वह खैरख्वाही में है।

लखनऊ एसजीपीजीआई के लिए रेफर कर दिया

बताए कि मंगलवार की दोपहर अचानक मुख्तार की तबीयत बिगड़ी। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह अचेत हो गए और मुंह से झाग निकलने लगा। संयोग से उसी वक्त मुलाकात करने पहुंची उनकी पत्नी अफशा अंसारी भी पति की दशा देख अचेत हो गईं। दोनों पति-पत्नी को पहले जेल अस्पताल फिर बांदा जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने हार्ट अटैक होने की बात कह उनको लखनऊ एसजीपीजीआई के लिए रेफर कर दिया।

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एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने फौरी जांच में हार्ट अटैक की पुष्टि की। यह भी कहे कि शुक्र है कि जान बच गई। फिर दोबारा हार्ट अटैक की आशंका को देखते हुए एंजियोग्राफी जांच कराई गई। रिपोर्ट के आधार पर बताया गया कि मुख्तार की मुख्य नसों में कोई रुकावट नहीं है। लिहाजा फिलहाल ऑपरेशन की जरूरत नहीं है लेकिन 72 घंटे उन्हें निगरानी में रखने की जरूरत है। बावजूद उन्हें बगैर जरूरी इलाज, दवा के 48 घंटे बाद ही एजीपीजीआई से डिस्चार्ज कर गुरुवार की देर शाम दोबारा बांदा जेल में उनकी इंट्री करा दी गई। पूर्व सांसद ने कहा कि उनके पास पोख्ता सबूत है कि सरकारी मशीनरी के बेजा दबाव में गंभीर बीमारी से जूझ रहे मुख्तार अंसारी का एसजीपीजीआई में ठीक से इलाज नहीं होने दिया गया।

बांदा जेल में भेजने का क्या औचित्य था

उन्होंने कहा कि करीब आठ माह पहले जब मुख्तार को आगरा जेल से बांदा भेजा गया तब उस कार्रवाई को मुख्तार ने खुद के खिलाफ साजिश का हिस्सा बताया था। पूर्व सांसद ने सवालिया लहजे में कहा कि मुख्तार के खिलाफ दिल्ली, लखनऊ, मऊ तथा गाजीपुर की कोर्ट में मामला चल रहा है। बावजूद उन्हें सुदूर बांदा जेल में भेजने का क्या औचित्य था। बोले-साफ है कि यह सरकार की दोहरी नीति है। एक ओर वह २५ साल की फरारी के बाद गिरफ्त में आए ब्रजेश सिंह को वाराणसी जेल में ही रखी है।

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बल्कि सरकारी मशीनरी के दबाव में तीन सप्ताह से मेहमान की तरह वह बीएचयू अस्पताल में हैं। चंदौली के बहुचर्चित सिकरारा कांड में उनका वाराणसी की कोर्ट में ट्रायल चल रहा है लेकिन वह कोर्ट में कई तारीख से पेश नहीं किए जा रहे हैं। उनके लिए यह सब सरकारी मशीनरी के चलते हो रहा है। इस मौके पर अफजाल ने मुख्तार के समर्थकों, कार्यकर्ताओं से आग्रह करते हुए कहा कि इस विपरीत हालातों में वह संयम बनाए रखें। सरकार और उसके तंत्र पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन यह भी सच है कि मुख्तार इस बार के संकट में भी अपने लोगों की दुआ से उबरेंगे।

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