कैमरे में विध्वंस की तस्वीरें कैद करती हैं लेवीन

0

छायाकार पेशेवर हों या शौकिया, आमतौर पर उनके कैमरे सौंदर्य ही तलाशते हैं – बर्फ से ढकी पहाड़ियां, मनमोहक पेड़-पौधे, खूबसूरत वादियां और इसी तरह के अन्य रमणीक दृश्य, लेकिन हीडी लेवीन के कैमरे में कैद होती हैं विनाश और विध्वंस की तस्वीरें। कॉन्फ्लिक्ट फोटोजर्नलिस्ट (संघर्ष की घटनाओं को कैमरे में कैद करने वाली) हीडी लेवीन हाल ही में अपनी एक तस्वीर के दुरुपयोग को लेकर चर्चा में रही हैं। तस्वीर का यह दुरुपयोग संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने किया था।

पाकिस्तान की इस भारी भूल को लेकर पुरस्कार विजेता फोटोग्राफर ने कहा, “अकसर मैं ब्लॉगर्स और समाचार पत्रों द्वारा मेरी तस्वीरों के इजाजत बगैर इस्तेमाल की घटनाओं से निपटती रही हूं, लेकिन इस प्रकार की स्थिति मेरे सामने पहली बार आई है, उम्मीद है कि यह ऐसी अंतिम घटना होगी। मैं यह सुनकर बेहद दुखी और हैरान थी कि मलीहा लोधी ने उसे किसी कश्मीर लड़की की तस्वीर बताया। मैं यही कहूंगी कि इस घटना से गाजा की उस लड़की राव्या के सम्मान को ठेस पहुंचाई गई है।”

उल्लेखनीय है कि लोधी ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक तस्वीर दिखाकर भारतीय फौजों की क्रूरता साबित करने की कोशिश की थी। उन्होंने उसे एक कश्मीरी लड़की की तस्वीर बताया था। लड़की के चेहरे पर चोटों के ढेर सारे निशान थे। बाद में पता चला कि उस तस्वीर (17 वर्षीय लड़की) को हीडी ने 2014 में गाजा में खींची थी।

आपको लगता है कि तस्वीरों और ऐसी ही अन्य सामग्री के उपयोग को लेकर नियम और कड़े होने चाहिए? हीडी ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि लोग फोटोग्राफर्स की कॉपीराइट के अधिकारों की परवाह नहीं करते और भूल जाते हैं कि हमारी इजाजत के बिना हमारी तस्वीरों को डाउनलोड करना या उनकी नकल करना गैर कानूनी है। कई फोटोग्राफर्स अपने काम की चोरी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं। मैं नहीं जानती कि कितने लोग यह समझते हैं कि यह गैर कानूनी है और निश्चित तौर पर बेहतर होगा कि लोग यह जान लें और साथ ही अगर इसके लिए और कड़े दंडों का प्रावधान हो।”

तबाही और संघर्ष की तस्वीरें खींचने के अपने पहले प्रत्यक्ष अनुभव के बारे में साहसी हीडी कहती हैं, “संघर्ष, विध्वंस और दुर्गति के करीब होने का मेरा पहला प्रत्यक्ष अनुभव वह था, जब 1982 में मैंने इजरायल-लेबनान युद्ध के बाद दक्षिणी लेबनान में शरणार्थी संकट की तस्वीरें खींची थी। यह पेशेवर फोटोजर्नलिस्ट के रूप में मेरे कॅरियर का बेहद शुरुआती समय था, जब मैंने इजरायल में एपी के लिए काम शुरू किया था।”

हीडी दुनिया के कई हिस्सों में संघर्षरत क्षेत्रों की तस्वीरें खींचती रही हैं

वह इस प्रकार के जुनून की ओर कैसे आकर्षित हुई? हीडी कहती हैं, “जब मैं बड़ी हो रही थी, तब मैं जरूरतमंदों की मदद करने की कोशिश में काफी समय बिताती थी। मैं शायद इसका बिल्कुल ठोस कारण नहीं बता सकती, जिसके कारण मैं संघर्ष को तस्वीरों में कैद करने के इस काम की ओर आकर्षित हुई। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि मैं शायद इसी के लिए पैदा हुई थी और मेरे लिए फोटोग्राफी एक सार्वभौमिक भाषा है, जो हम सभी को साथ जोड़ सकती है। यह इसका एक साधन है।”

चारों ओर गोलीबारी से घिरीं, परिवार और घर से दूर, लंबे समय तक खतरनाक युद्ध क्षेत्रों में रहना और जब सिर पर मौत मंडरा रही हो, ऐसे समय में संघर्षरत क्षेत्रों को कवर करना कितना कठिन होता है और हीडी का परिवार उनके काम को किस तरह देखता है, यह एक बड़ा प्रश्न है। परिवार आपके इस मिशन में साथ देता है और आपको प्रोत्साहित करता है? या आपको इस काम से दूर करने की कोशिश करता है?

Also Read : कैटेलोनिया के अधिकारी तोड़ रहे कानून : सोराया

हीडी ने कहा, “मेरे परिवार को मेरे काम पर बेहद गर्व है और वे मेरा पूरा समर्थन करते हैं। लेकिन यह उनके लिए भी बेहद मुश्किल रहा है। कई बार युद्धरत क्षेत्रों को कवर करना और फिर घर आकर बिल्कुल अलग और नई भूमिका में अपने बच्चों की देखभाल करना बेहद मुश्किल होता है। इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष की बात करूं तो उस दौरान कुछ भी ऐसा नहीं था, जिससे मैं खुद को सहज कर पाऊं। कई बार ऐसा होता है जब मेरे बच्चे सोचते हैं कि काश मैं कोई ‘सामान्य काम’ करती, लेकिन आज उन्हें मुझ पर गर्व है। निस्संदेह उन्हें मेरी फिक्र होती है और मुझे लगता है कि हाल ही में इतने पत्रकारों के मारे जाने और घायल होने के कारण मेरा परिवार पहले की तुलना में आज मेरे लिए ज्यादा चिंतित होता है।”

उन्होंने अपने परिवार से जुड़ी एक घटना का जिक्र किया, “जब मैं लीबिया में थी, मैंने अपनी सबसे छोटी बेटी को यह बताने का फैसला किया कि मैं केवल सीमा पर शरणार्थी संकट को कवर कर रही हूं, लेकिन आज सोशल मीडिया से जुड़ी दुनिया में झूठ बोलना बेहद मुश्किल है। इसलिए मुझे उससे फेसबुक पर दिखने से बचना पड़ा। बाद में उसने मुझे बताया कि वह जानती थी कि मैं लीबिया के भीतर थी।”

चारों ओर तबाही देखते हुए क्या कभी हीडी के मन में होता है कि यह सब छोड़ दें?

उन्होंने कहा, “निस्संदेह मैं कई बार बेहद दुखी हो जाती हूं। आखिरकार मैं एक इंसान हूं, मशीन नहीं। लेकिन कभी भी अपने इस काम को छोड़ने का ख्याल मेरे मन में नहीं आता, क्योंकि जब मैं अपने चारों ओर त्रासदी देखती हूं तो मुझे महसूस होता है कि मुझे और भी कड़ी मेहनत करने की जरूरत है, लोगों को यह समझाने के लिए कि दुनिया में क्या हो रहा है।”

उन्हें इतने वर्षो में संघर्ष की स्थिति में कोई बदलाव नजर आया? हीडी ने कहा, “यह एक सच्चाई है कि हमारी दुनिया भीषण संघर्ष की स्थिति में है और अब आधुनिक तकनीक की बदौलत हम इन त्रासदियों को उसी समय देख पाते हैं। काश, मेरे पास इसका उत्तर होता, लेकिन हम जो संघर्ष की स्थितियां बढ़ते देख रहे हैं, उसका कोई उत्तर मेरे पास नहीं है।”

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More