गुलबर्ग सोसाइटी: विवेक बनकर जी रहा ‘मुजफ्फर’

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गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले पर गुरुवार (2 मई) को विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी और 36 को बरी कर दिया। इस फैसले से जुड़े कई लोग खुश थे और कई दुखी भी, लेकिन कई लोग इस मामले से जुड़े होने के बाद भी फैसले से अंजान ही रहे। ये वे बच्चे थे जो की इस नरसंहार के बाद अपने परिवार से बिछड़ गए थे। इनमें से ही एक था मुजफ्फर शेख नाम का वह मुस्लिम लड़का जो अपने परिवार से अलग हो गया था। उसे बाद में एक हिंदू परिवार ने पाला और अब उसका नाम विवेक पटनी है।

खो गया था बच्चा

2002 के गुलबर्ग सोसाइटी के दंगों में विवेक नाम का एक बच्चा सब कुछ खो चुका था। तभी विक्रम नाम का एक व्यक्ति उसे अपने घर ले आया और अपनी पत्नी वीना के साथ मिलकर उसने बच्चे को पालने का फैसला किया। 2008 में अचानक उसके बायोलॉजिकल पेरेंट्स ना जाने कहां से आ पहुंचे और उन्होंने विवेक को अपना मुजफ्फर बताकर उसे वापस लौटाने की बात की। फिर हिन्दू और मुस्लिम परिवार में उस बच्चे को प्यार देने की लड़ाई शुरू हो गई। चूंकि अब विक्रम इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनकी पत्नी वीना ने इस मामले में अपील दाखिल कर दी।

वीना के हक में कोर्ट का फैसला

2008 में मुजफ्फर के परिवार ने उसे ढूंढ लिया, पर मुजफ्फर उन्हें नहीं पहचान पाया। वीना ने भी अपने ‘विवेक’ को लौटाने से मना कर दिया। मामला गुजरात के हाई कोर्ट में गया। मुजफ्फर लापता होने के वक्त दो साल का था इस वजह से ना तो वह अपने असली मां-बाप मोहम्मद सलीम शेख और जेबुनइसा को पहचान रहा था और ना ही उनके साथ जाना चाहता था। इसके बाद कोर्ट ने भी अपना फैसला वीना के हक में सुनाते हुए मुजफ्फर उर्फ विक्रम को उसी के पास रहने दिया।

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