‘ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ को कहा जाता है ‘दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान’, रहस्यों से भरी है कहानी
‘ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ दुनिया के सात अजूबों में शुमार है। दुनिया की सबसे बड़ी दीवार अपनी बेजोड़ लंबाई की वजह से प्रसिद्ध है। पूरे विश्व से लोग इस दीवार को देखने के लिए आते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि यह दीवार अंतरिक्ष से भी दिखती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दीवार को ‘दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान’ भी कहा जाता है, लेकिन क्यों? आइए जानते हैं इसके पीछे की हैरान करने वाली कहानी।
इस मकसद से हुआ था इसका निर्माण-
इसे बनाने की शुरुआत ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुई थी, जो 16वीं शताब्दी तक चली। इसका निर्माण एक नहीं बल्कि चीन के कई राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया है।
कहते है कि इस दीवार का निर्माण दुश्मनों से चीन की रक्षा करने के लिए किया गया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका था।
1211 ईस्वी में मंगोल शासक चंगेज खान ने एक जगह से दीवार को तोड़ दिया था और उसे पार कर चीन पर हमला कर दिया था।
दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान-
ऐसा कहा जाता है कि इस दीवार को बनाने में जो मजदूर कड़ी मेहनत नहीं करते थे, उन्हें इसी दीवार में दफना दिया जाता था।
आकंड़ों के अनुसार इसे बनाने में करीब 10 लाख लोगों ने जान गंवाई थी। इसी कारण इस दीवार को दुनिया को सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है।
हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो कोई नहीं जानता। इसलिए यह एक रहस्य ही बनकर रह गया है।
एक तिहाई हिस्सा हो चुका है गायब-
1960-70 के दशक में लोगों ने चीन की इस दीवार से ईंटें निकालकर अपने घर बनाने शुरू कर दिए थे लेकिन बाद में सरकार ने सुरक्षा बढ़ा दी थी।
हालांकि चोरी आज भी होती है और तस्कर बाजार में इसकी एक ईंट की कीमत 3 पौंड मानी जाती है। अब तक इसका एक तिहाई हिस्सा गायब हो चुका है।
इसका एक बहुत बड़ा कारण दीवार के सही रखरखाव की कमी के अलावा मौसम का प्रभाव और चोरी भी है।
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