पं दीन दयाल उपाध्याय की हत्या की अब हो सकती है CBI जांच

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भारतीय जनसंघ के सहसंस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या(murder) के 50 साल पुराने मामले की सरकार सीबीआई जांच करा सकती है। यूपी के आंबेडकर नगर के एक बीजेपी कार्यकर्ता के पत्र पर गृह मंत्रालय ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी थी।

इसी पत्र के आधार पर इलाहाबाद के एसपी (रेलवे) ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट रेलवे के आईजी को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या से जुड़ी एफआईआर, केस डायरी जैसे दस्तावेज लापता हैं।

आईपीसी की धारा 379/411 के तहत चार साल की सजा सुनाई थी

थाने में मिले एक रजिस्टर से पता चला है कि इस मामले में वाराणसी निवासी रामअवध, लालता और भरतराम को गिरफ्तार किया गया था। भरतलाल को जून 1969 में आईपीसी की धारा 379/411 के तहत चार साल की सजा सुनाई थी, बाकी दो बरी हो गए थे।

दरअसल, आंबेडकर नगर (जलालपुर) के पूर्व बीजेपी मंडल मंत्री राकेश गुप्ता ने 6 नवंबर 2017 को केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था। इसमें पटना जाते समय स्टेशन पर दीनदयाल उपाध्याय की हत्या को विरोधी दलों की साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई थी।

हत्या के तार पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली और बिहार से जुड़े होने की बात कही गई। पत्र में आरोप लगाया गया था कि हत्या के बाद न कानूनी कार्यवाही का पालन किया गया, ना ही पोस्टमॉर्टम कराया गया था।

अब एसपी  ने रिपोर्ट रेलवे के आईजी को सौंप दी है

गृह मंत्रालय ने इसी पत्र के आधार पर नवंबर 2017 में यूपी सरकार से रिपोर्ट तलब की थी। अब एसपी (रेलवे) ने रिपोर्ट रेलवे के आईजी को सौंप दी है। कहा जा रहा है कि यह रिपोर्ट एक-दो दिनों में शासन को भेजी जाएगी।

अधिकारियों के अनुसार, गृह मंत्रालय ने जिस तरह से रिपोर्ट मांगी है, वैसी प्रक्रिया किसी मामले की सीबीआई जांच से पहले अपनाई जाती है। अधिकारी अब पांच दशक पुराने इस मामले में किसी ऐसे पुलिसकर्मी की तलाश कर रहे हैं, जो उस समय घटना के वक्त तैनात रहा हो। साभार

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