मुझको याद किया जाएगा आंसू जब सम्मानित होंगे..

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पद्म श्री व पद्मभूषण से सम्मानित गीतकार और लोगों के पसंदीदा कवि गोपाल दास ‘नीरज’ का गुरुवार शाम निधन हो गया। अपनी प्रतिभा के धनी होने की वजह से गोपाल दास महाकवि के नाम से भी जाने जाते थे। लंबे समय से बीमार चल रहे नीरज को उनके परिजनों ने दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया था। उन्हें बार-बार सीने में संक्रमण की शिकायत हो रही थी।

दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था

बता दें कि नीरज सोमवार को अपनी बेटी से मिलने आगरा पहुंचे थे और उसके अगले ही दिन मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। उनकी तबियत खराब होने के बाद उन्हें आगरा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था।  तबियत में सुधार न होने से उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था।

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परिजनों के मुताबिक, आगरा के निजी अस्पताल में उनकी तबियत में सुधार हुआ था, लेकिन उनकी तबियत बार-बार बिगड़ जाती थी। डॉक्टरों के अनुसार, उनके फेफड़े में संक्रमण था और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

श्रंगार और रुमानियत के कवि माने जाने वाले गोपाल दास कई पीढ़ी के लोगों के पसंदीदा कवि और गीतकार रहे हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में बेहतरीन भाषायी प्रयोग करके कई कालजयी गीतों की रचना की। नीरज ने एक साक्षात्कार में कहा था कि ‘अगर दुनिया से रुखसती के वक्त आपके गीत और कविताएं लोगों की जुबां और दिल में हों, तो यही आपकी सबसे बड़ी पहचान होगी।’

फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया

1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण से सम्मानित गोपालदास का जन्म 4 जनवरी 1925 को यूपी के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था। फिल्मों में अपनी प्रतिभा और बेहतरीन गीत लेखन के लिए नीरज को लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

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गोपालदास को 1970 में फिल्म चन्दा और बिजली के गीत ‘काल का पहिया घूमे रे भइया!’, 1971 में फिल्म पहचान के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और 1972 में फिल्म मेरा नाम जोकर के गीत ‘ए भाई! जरा देख के चलो’ के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नीरज जी की कुछ रचनाएं…

1) मुझको याद किया जाएगा
आंसू जब सम्मानित होंगे
मुझको याद किया जाएगा
जहां प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये केवल इस गलती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा
मुझको याद किया जाएगा।

2) आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं
आज की रात तुझे आखिरी खत और लिख दूं
कौन जाने यह दिया सुबह तक जले न जले?
बम-बारुद के इस दौर में मालूम नहीं
ऐसी रंगीन हवा फिर कभी चले न चले।

3)जीवन कटना था, कट गया
जीवन कटना था, कट गया
अच्छा कटा, बुरा कटा
यह तुम जानो
मैं तो यह समझता हूं
कपड़ा पुराना एक फटना था, फट गया
जीवन कटना था कट गया

4) स्वप्न झरे फूल से
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे।

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
पांव जब तलक उठे कि जिंदगी फिसल गई
पात-पात झर गए कि शाख-शाख जल गई
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई।

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