विजय दिवस: जब भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान ने टेक दिए थे घुटने
26 जुलाई 1999 वह दिन था जब पाकिस्तान ने भारतीय सेना के आगे घुटने टेक दिए थे। सीमा पर हमले की शुरुआत करने वाले पाक के पास भारत के सामने झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। भारतीय जवानों के साहस, वीरता और जज्बे के सामने पड़ोसी मुल्क की सेना हार मान चुकी थी।
करीब दो महीने तक चलने वाले इस युद्ध में जीत मिलने के साथ ही दुनिया को भारत की ताकत का सबूत भी देखने को मिला।पाकिस्तानी सेना के एलओसी के इस पार घुस आने के पता तब चला था जब सीमा के पास एक चरवाहे को उनके बंकर नजर आए थे।
सभी के क्षत-विक्षत शव भारतीय सेना को मिले
चरवाहे ने सेना को इसकी सूचना दी, जिसके बाद सबसे नजदीकी सेना की पोस्ट को इसे जांचने के लिए भेजा गया।05 मई 1999 को कैप्टन सौरभ कालिया सहित छह जवान वहां पहुंचे, लेकिन उन्हें पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया। इसके बाद सभी के क्षत-विक्षत शव भारतीय सेना को मिले।
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पाकिस्तानी सैनिकों ने बेरहमी से टॉर्चर देते हुए कैप्टन सौरभ के कान के पर्दों को गर्म सलाखों से दागा था। उनकी आंखें फोड़ दी गईं। शरीर के कई अंग काट दिए गए थे और हड्डियां तोड़ दी गईं।इस अमानवीय घटना के बाद करगिल का युद्ध शुरू हो गया।
भारतीय सेना ने झुकने और रुकने से इनकार कर दिया
भारत के लिए इसे जीतना मुश्किल था, क्योंकि सीमा में लगभग सभी ऊपरी पोस्टों पर पाकिस्तानी सेना का कब्जा था। लेकिन भारतीय सेना ने झुकने और रुकने से इनकार कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया।पाकिस्तानी सेना ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने से पहले वहां के वायुसेना कमांडर को इसकी सूचना नहीं दी थी।
MiG-27L मिसाइल के हमले में क्रैश हो गया था
इस वजह से जब पाकिस्तान की थल सेना को मदद की जरूरत पड़ी तो वायुसेना की ओर से साफ इनकार कर दिया गया।करगिल वॉर के दौरान वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के.नचिकेता इकलौते युद्धबंदी थे। पाकिस्तान सेना ने उन्हें उस वक्त पकड़ लिया था जब उनका MiG-27L मिसाइल के हमले में क्रैश हो गया था।
कैप्टन नचिकेता समय रहते विमान से इजेक्ट हो गए थे, लेकिन नीचे आने के कुछ देर बाद ही वह पाक सेना के पकड़ में आ गए।रिपोर्ट्स की मानें तो इस घटना से पहले ही पाकिस्तान इससे भी बड़ा हमला करना चाहता था, जिसके लिए परवेज मुशर्रफ करीब 5000 सैनिकों का इस्तेमाल करना चाहते थे, लेकिन बनजीर भुट्टो ने इस पर आपत्ति जता दी थी।
जनरल मुशर्रफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल करना चाहते थे
रिपोर्ट्स की मानें तो जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह से खदेड़ना शुरू कर दिया तब जीतने के लिए जनरल मुशर्रफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल करना चाहते थे, लेकिन सभी ओर से बने दबाव के कारण वह ऐसा नहीं कर सके।26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पूरी तरह से सीमा से बेदखल करने की घोषणा की और करगिल युद्ध समाप्त हुआ।साभार
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