वैसे भी नकली छत थी, अब वो भी गई…

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UP इंवेस्टर्स समिट, जिसकी चर्चा चारों और हो रही है और भाई हो भी क्यों ना। इसकी वजह से पूरे (entire) लखनऊ की तो जैसे दशा ही बदल गई है। हर तरफ रंग-रोगन चल रहा है, चारों और से गंदगी के नामों निशान को भी मिटाया जा रहा है। इन सभी बदलावों के पीछे एक ऐसा रूप भी सामने आया है जिसने कई लोगों की दुनिया को ही उजाड़ दिया है। नए लखनऊ के एक अलग पहलू से जर्नलिस्ट कैफे आपको रूबरू कराएगा।

मेहमानों की लिस्ट है लम्बी

समिट में आने वाले मेहमानों की लिस्ट काफी लंबी है।  इसमें देश के प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कैबिनेट के 18 मंत्री, मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति भी शामिल होंगे। अब जब इतने बड़े-बड़े दिग्गज राजधानी में पधार रहे हैं तो अपनी खामियों को तो छुपाना ही पड़ेगा ना।

लोग हुए बेघर

अब हम आपको ये बताते हैं अपनी खामियों को छुपाने के लिए नगर निगम ने सबसे आसन सा तरीका खोज निकाला। अब चाहे इस तरीके से किसी का घर टूटे या जमीन छूटे उन्हें क्या…? लखनऊ नगर निगम ने हुसड़िया चौराहा फ्लाईओवर के नीचे अपना डेरा जमाए लोगों को तो जबरन हटा दिया। अब हटा दिया तो कम से कम एक बार ये तो पता कर लेते कि ये लोग, जिनके सर से आप छत छीन रहे हैं वो कहां जायेंगे, या ठंडी के मौसम में कहां अपना गुजर बसर करेंगे।

https://youtu.be/Nd9KntI844o

अरे ये तो हमारा ही लखनऊ नगर निगम विभाग है भाई तो लोगों की परवाह क्यों करेगा। क्योंकि बात तो ये भी है न कि अगर लोगों की परवाह करेगा तो नौकरी नहीं चली जायेगी अधिकारियों की…।

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जर्नलिस्ट कैफ़े ने की जांच पड़ताल

अब जब जर्नलिस्ट कैफ़े के पत्रकार हुसड़िया चौराहा फ्लाईओवर के नीचे रह रहे लोगों का हाल जानने पहुंचे तो दृश्य कुछ ऐसा था कि देखने वाला भी भौचक्का रह जाए। एक लगभग 55 साल का बुजुर्ग व्यक्ति जो कि अपंग है वो अपनी गृहस्थी का सामान बटोरने में लगा था। अब आप खुद ही देख लीजिये कि वह बुजुर्ग किस तरह से टूट गया अपनी बात बोलते-बोलते।

https://youtu.be/H0CU9E_zgds

पत्रकार साहब ने जब उससे बात की तो उसने अपना नाम एह्सानुल्लाह सिद्दीकी बताया। उसकी हालत कुछ ये बयान कर रही थी कि अरे भाई अगर आपके नेता आ रहे हैं तो हमें क्यों बेघर कर दिया गया। पहले तो ये नगर निगम वाले सालों तक कुछ नहीं कहते, झोपड़पट्टीवाले कहीं भी आराम से अपना डेरा जमा लेते हैं लेकिन जब किसी कार्यक्रम के आने की तारीख पास आती है या जहाँ इन अफसरों पर गाज गिर लगती है तो इनको अपना काम याद आता है।

https://youtu.be/u1Fr-4E4f44

उठता है ये सवाल

एह्सानुल्लाह सिद्दीकी एक अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके ऊपर से उसकी छत छीन गई हो बल्कि ऐसे हजारों लोग हैं जिन्होंने UP इंवेस्टर्स समिट की वजह से या तो अपने छत को खोया या अपने रोजगार से हाथ धोया है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन लोगों को सच में घर की जरूरत है उनको तो किसी योजना के तहत घर मिल नहीं पा रहा है तो आखिर योजनाओं वाले घरों में रह कौन रहा है?

आखिर क्यों आता है ऐसा दिन?

साथ ही एक बात और है जिस पर गौर किया जा सकता है अगर हमारे उत्तर प्रदेश से सभी विभाग इसी सख्ती और तेजी से काम करें जितने कि UP इंवेस्टर्स समिट के लिए कर रहे हैं तो शायद ये नौबत ही ना आये कि किसी का घर छीने या रोजगार…।

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