नहीं किया सरकार का इंतजार, छात्र ने खुद किया आसोलेशन सेंटर का इंतजाम

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वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है. सवा अरब से अधिक की आबादी वाले इस देश में किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. ऐसी स्थित में बहुरूपिया वायरस से जंग कठिन हो रही है. इसे समक्षते हुए उस्‍मानिया यूनिवर्सिटी के एक स्‍टूडेंट ने तेलंगाना के भूपलपल्ली जिले के छल्लागरिगा गांव के सरकारी स्कूल में अपने दम पर आइसोलेशन सेंटर बना दिया है. इस आइसोलेशन सेंटर में स्‍थानीय प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र से डॉक्‍टर और आशा वर्कर नियमित रूप से आते हैं. कोरोना पीड़ितों का समूचित इलाज हो रहा है. छात्र की इस कोशिश ने एक नयी राह दिखायी है.

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10 बेड का है आसोलेशन सेंटर

डी नरेश उस्‍मानिया यूनिवर्सिटी के जर्नलिज्‍म और कम्‍युनिकेशन डिपार्टमेंट का स्टूडेंट है. कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए तेलंगाना सरकार की कोशिशों के बीच ही उसने आइसोलेशन सेंटर बनाने की योजना तैयार की. इसके लिए उसने अपने गांव छल्लागरिगा गांव के सरकारी स्कूल का चयन किया. जिला अधिकारी की मंजूरी के बाद 10 बेड का आसोलेशन सेंटर बनाया है. यहां मरीज रखे जाते हैं, उनके रहने, देखभाल और खाने-पीने की पूरी व्‍यवस्‍था मुफ्त में की जाती है. डॉक्‍टर और आशा वर्कर यहां नियमित रूप से आते हैं. डी नरेश बताते हैं कि गांव के बहुत से लोग अशिक्षित हैं. वे कोविड के बारे में नहीं जानते और जागरूक न होने की वजह से ज्‍यादा मुसीबत झेलते हैं.

गांव में नहीं हैं सुविधाएं

छल्लागरिगा गांव में सुविधाओं का अभाव है. यहां रहने वाले लोगों के पास सैनिटाइज्‍ड शौचालयों की सुविधा नहीं है. कुछ घरों में संक्रमितों के रहने के लिए अलग कमरे की इंतजाम नहीं है. नरेश कहते हैं कि यहां के रहने वाले महामारी के दौरान डर की वजह से अस्‍पताल नहीं जाते. उन्‍हें लगता है कि छह किलोमीटर दूर स्थित अस्‍पताल में अगर उन्‍हें भर्ती कराया गया तो उनकी तबियत और खराब हो जाएगी. ऐसे लोगों के लिए आसोलेशन सेंटर काफी कारगर साबित होता है. इस सेंटर में अब तक कई लोग आ चुके हैं और स्वस्थ होकर गए हैं.

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