संक्रमण काल में इन दवाओं का सेवन कर सकते हैं डायबिटीज रोगी

प्रतिरोध क्षमता कम करने में इस रोग की बड़ी भूमिका

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लखनऊ : कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादातर प्रभाव प्रतिरोधक क्षमता कम वाले व्यक्तियों पर पड़ता है जिनमें Diabetes के रोगी अधिक हैं। प्रतिरोध क्षमता कम करने में इस रोग की बड़ी भूमिका होती है, ऐसे में जिसे भी इस तरह की दिक्कत हो, वह इस संक्रमण काल में बेहद सतर्क रहे।

यह कहना है राजकीय आयुर्वेद संस्थान एवं अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ़ मंदीप जायसवाल का। उन्होंने कहा कि मधुमेह Diabetes के मरीजों के लिए मार्निंग वॉक रामबाण है, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं हो पा रहा है। दिनचर्या बिगड़ जाने से खानपान पर नियंत्रण नहीं रह गया है।

आधा पेट भोजन करें

डॉ़ मंदीप ने बताया कि मधुमेह Diabetes से पीड़ित रोगियों को इस समय ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस रोग से ग्रसित लोगों को हल्का व आधा पेट भोजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सुबह का नाश्ता भरपूर करना चाहिए। रात का खाना आठ बजे से पहले तथा आधा पेट करना चाहिए तथा रात के खाने के दो घंटे बाद ही सोना चाहिए।

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ड़ॉ. जायसवाल ने कहा कि मधुमेह Diabetes रोगियों को दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए। आज के समय में बाहर टहलने की मनाही है इसलिए घर पर ही टहलें। कब्ज न हो, इसका विशेष ध्यान रखना है। इसके लिए खाना खाने के एक घंटे बाद गुनगुने पानी का सेवन करें। यदि दवा की जरूरत है तो भोजन करने से पहले हिंगवाष्टक चूर्ण तथा भोजन करने के एक घंटे बाद त्रिफला चूर्ण क्वाथ का सेवन अवश्य करें।

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चूर्ण बनाकर लगातार सेवन करें

उन्होंने बताया कि भोजन से एक घंटे पहले हरिद्रा, आमलकी, दालचीनी, गिलोय, मेथी, चिरायता को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर लगातार सेवन करने से Diabetes नियंत्रित रहती है। यदि शुगर बढ़ी है तो भोजन करने के एक घंटे बाद निशाकथाकादि कशाय फलाकत्रादि कशाय का सेवन इसमें फायदा मिलता है।

दूध, दही का सेवन कम करें

डॉ. जायसवाल के अनुसार Diabetes में विशेष रूप से दूध तथा दूध के अन्य विकार (पनीर इत्यादि) तथा दही आदि भी कम मात्रा में और जहां तक संभव हो दोपहर से पहले लेने चाहिए। फिर भी Diabetes नियंत्रित नहीं हो रहा है तो डक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

एलोपै​थिक दवाओं से शरीर में रियेक्शन बढ़ता है

उन्होंने बताया कि हम एलोपैथिक दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो निगरानी जरूरी होती है क्योंकि शरीर में प्रतिक्रियाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में हमें एलोपैथिक दवाओं की डोज कम करने की आवश्यकता होती है।

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