अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को करेगा अहम सुनवाई

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अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अहम सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि शुक्रवार को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट नई पीठ का गठन कर सकता है। साथ ही जल्द और रोजाना सुनवाई की मांग वाली अर्जी पर भी सुनवाई हो सकती है।

जनवरी तक टाली गई थी सुनवाई

इसके अलावा कोर्ट एक नई जनहित याचिका पर भी सुनवाई करेगा। यह जनहित याचिका हरीनाथ राम ने दायर की हुई है। याचिका में अयोध्या मामले की सुनवाई एक तय समय में किए जाने की मांग की है और अगर तय समय में सुनवाई नहीं होती है तो कोर्ट अपने आदेश में कारण बताए कि एक तय समय में सुनवाई आख़िरकार क्यों नहीं हो सकती। आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी माह तक टाल दी थी।

इससे पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर मामले को सुन रहे थे। सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था। कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुकी के फैसले में पुनर्विचार के लिए मामले को संविधान पीठ भेजने से इंकार कर दिया था।

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मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी। गौरतलब है कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को अयोध्या विवाद में फैसला दिया था। फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है, उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक-तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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