Corona ने बिगाड़ा खेलों का कैलेंडर

कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट रद्द, ओलिंपिक पर खतरा, शीर्ष खिलाड़ी परेशान

0

कोरोनाCorona वायरस के प्रकोप ने खेल जगत को कुछ ज्यादा ही बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया है। उसकी हलचलें थमती जा रही हैं। दुनिया में चार-छह महीनों में होने वाली ऐसी कोई खेल प्रतियोगिता नहीं है, जिस पर संकट के बादल न मंडरा रहे हों। वह चाहे टोक्यो ओलिंपिक हो, फ्रेंच ओपन, विम्बलडन, यूएस ओपन या आईपीएल हो, सभी पर Corona वायरस का असर साफ दिख रहा है।

ओलंपिक खेलों के आयोजक अभी तो खेलों को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही 24 जुलाई से नौ अगस्त तक कराने पर डटे हुए हैं। पर यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले एक-दो महीने में कोरोना का प्रभाव कैसा रहता है। अभी तो Corona महामारी का रुझान और ज्यादा फैलने का ही नजर आ रहा है। ऐसे में इन खेल आयोजनों का इस साल हो पाना शायद ही संभव हो पाए। टेनिस में एटीपी और डब्ल्यूटीए सर्किट के साथ ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट अधर में लटके हैं तो अमेरिका में एनबीए चैंपियनशिप का भी यही हाल है। प्रतिष्ठित यूरो फुटबॉल चैंपियनशिप को एक साल के लिए टाल दिया गया है।

यह भी पढ़ें: Corona : CM योगी का संदेश, भयभीत न हों, सावधान व सतर्क रहें

टेनिस में साल के दूसरे ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट फ्रेंच ओपन को 24 मई के बजाय 20 सितंबर से कराने की घोषणा कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि साल के आखिरी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट यूएस ओपन के खत्म होने के एक हफ्ते बाद इसका आयोजन होगा। इस बीच विम्बलडन को समय पर कराने की घोषणा की गई है। इस ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का आयोजन 29 जून से होना है, यानी फैसला बदलने के लिए मई आखिर तक का समय है। फ्रेंच ओपन को मई से सितंबर ले जाने की कुछ खिलाड़ी आलोचना कर रहे हैं। कारण यह है कि यूएस ओपन हार्ड कोर्ट पर खेला जाता है और इसके काफी पहले से हार्ड कोर्ट सीजन शुरू हो जाता है। खिलाड़ियों को यूएस ओपन खत्म होते ही बिना किसी तैयारी के क्ले कोर्ट पर खेले जाने वाले फ्रेंच ओपन में खेलने उतरना होगा। इस स्थिति में बहुत से खिलाड़ी तो खेलना ही पसंद नहीं करेंगे और ज्यादातर अपना बेस्ट देने में सफल नहीं पाएंगे।

यहां तक टोक्यो ओलिंपिक की बात है तो आयोजन समिति, जापान सरकार और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति तीनों को ही लग रहा है कि अभी इस बारे में कोई बड़ा फैसला लेने का समय नहीं आया है, इसलिए निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार तैयारियां जारी रखने का फैसला किया गया है। लेकिन कुछ खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है कि खेल समय पर कराकर खिलाड़ियों के स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है। ओलिंपिक के समय पर आयोजन में मूल दिक्कत यह है कि इसकी तमाम क्वालिफाइंग स्पर्धाएं आयोजित नहीं की जा सकी हैं। मौजूदा समय में ओलिंपिक में भाग लेने वाले 57 प्रतिशत खिलाड़ियों का ही फैसला हो सका है और 43 प्रतिशत खिलाड़ियों का चयन होना बाकी है। जब ओलिंपिक क्वालिफायर आयोजित हो ही नहीं रहे हैं, तो भाग लेने वाले बाकी खिलाड़ियों को लेकर कोई और तरीका निकालना होगा।

बैडमिंटन जैसे खेलों में टॉप 16 रैंकिंग वाले खिलाड़ी भाग लेते हैं। 28 अप्रैल तक खिलाड़ियों को रैंकिंग सुधारने का मौका है। लेकिन आजकल जब अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट ही नहीं हो रहे हैं तो रैंकिंग कैसे सुधरेगी। इस समस्या से सायना नेहवाल और किदाम्बी श्रीकांत दोनों जूझ रहे हैं। भारतीय स्प्रिंटर दुतीचंद की उम्मीदें भी टूटती दिख रही हैं। उनको ओलिंपिक का टिकट कटाने के लिए 100 मीटर दौड़ में 11.15 सेकंड का समय निकालना है, जबकि उनका सर्वश्रेष्ठ समय 11.22 सेकंड है। इस सुधार के लिए उन्हें दो मार्च से जर्मनी में प्रशिक्षण शिविर में भाग लेकर यूरोपीय सर्किट में दौड़ना था। बेहतर मुकाबले में ही बेहतर समय निकालना संभव होना है, पर अभी जर्मनी जाने से उन्हें मना कर दिया गया है और उन्हें घर में ही अभ्यास करना है।

यह भी पढ़ें : Nirbhaya: कुछ सवाल जो बने रहेंगे

इस हालत में क्वालिफाई कर पाने की कोई उम्मीद नहीं है। इसके अलावा जो खिलाड़ी क्वालिफाई कर गए हैं, उनके सामने अच्छी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी रंगत को बनाए रखने की चुनौती भी है। जेवेलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा और शिवपाल ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके हैं और वे क्रमश: तुर्की और दक्षिण अफ्रीका में अभ्यास कर रहे थे। इस महामारी की वजह से दोनों को लौटना पड़ा है। दोनों के सामने यही मुश्किल है कि प्रदर्शन को कैसे सुधारा जाए। यही स्थिति देश के तीरंदाजों और निशानेबाजों की भी है।

यह भी पढ़ें : 38 साल पहले भी मिला था ऐसा ही इंसाफ

भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है और आईपीएल का नशा तो देशवासियों के सिर चढ़कर बोलता है। पर इसके आयोजन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पहले इसका आयोजन 29 मार्च से होना था पर इसे 15 अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है। इसके आयोजन में एक दिक्कत विदेश से आने वालों का वीजा निलंबित होना है। पहले वीजा पर से प्रतिबंध हटे तभी पता चल पाएगा कि क्या स्थिति बनती है। मौजूदा नियमों के मुताबिक विदेश से आने वाले खिलाड़ियों को 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रहना होगा। ऑस्ट्रेलिया ने अपने क्रिकेटरों से भारत न जाने को कहा है। अब यदि ऑस्ट्रेलिया के 17 खिलाड़ी नहीं आते हैं तो आईपीएल का मजा बैसे ही फीका हो जाना है।

यह भी पढ़ें :…तो इस लिए जरुरी हुआ फांसी के बाद पोस्टमार्टम ?

[bs-quote quote=”(ये लेखिक के अपने विचार हैं, यह लेख NBT अखबार में छपा है)” style=”style-13″ align=”left” author_name=”मनोज चतुर्वेदी”][/bs-quote]

बीसीसीआई, फ्रेंचाइजियां और आईपीएल गवर्निग काउंसिल मिलकर आईपीएल आयोजन का प्लान-बी तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वे जुलाई से सितंबर के बीच संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस दौरान एशिया कप और इंग्लैंड-पाकिस्तान सीरीज खेली जानी हैं। समय तो मिल सकता है पर इतना तय है कि इस बार इस लीग में कटौती करनी पड़ेगी और इसके लिए नए सिरे से कार्यक्रम बनाने की जरूरत पड़ेगी। यह लीग पैसों से भरपूर है, इसलिए कोई भी खिलाड़ी नहीं चाहेगा कि इसका आयोजन रद्द हो। आयोजक इसके आयोजन का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेंगे। अलबत्ता एक बात जगजाहिर है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से खेलों के सामने इतना बड़ा संकट कभी नहीं आया था।

 

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More