कांग्रेस-एनसीपी का शिवसेना पर दबाव, उद्धव ठाकरे ही बनें महाराष्ट्र के सीएम
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस नेता आज राज्यपाल से मिलेंगे।
सामना में लेख- नए समीकरण से भाजपा के पेट में दर्द क्यों।
महाराष्ट्र में सियासी उठापठक के बीच आज कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना के नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेंगे।
हालांकि, राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने शुक्रवार को साफ किया कि वे किसानों के मुद्दे को लेकर उनसे मुलाकात करने वाले हैं।
सरकार बनाने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने नागपुर में दोहराया कि सरकार बनाने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा।
इस बीच, शनिवार को ‘सामना’ के लेख में भाजपा पर निशाना साधा गया।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में ‘105 चिल्लाहट… और पागलों का घोड़ाबाजार’ शीर्षक के साथ संपादकीय लिखा गया है।
इसके मुताबिक, ‘‘महाराष्ट्र में नए समीकरण से कई लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। छह महीने सरकार न टिकने के श्राप दिए जा रहे हैं।
यह सब कुछ अपनी कमजोरी छिपाने के लिए किया जा रहा है।’’
उद्धव ठाकरे खुद सीएम बनना नहीं चाहते ह
एनसीपी-कांग्रेस इस बात पर अड़ सकती हैं, भले फॉर्म्युला ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का हो या फिर पूरे पांच साल का।
कहा जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद सीएम बनना नहीं चाहते हैं।
लेकिन, हकीकत यह है कि पार्टी के दूसरे दिग्गज या फिर पहली बार विधायक चुने गए 29 वर्षीय आदित्य ठाकरे पर आम सहमति नहीं बन पाएगी।
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन से पहले मुख्यमंत्री कैंडिडेट पर माथापच्ची हो रही है।
एनसीपी और कांग्रेस का मानना है कि उद्धव ठाकरे सीएम बनें तभी सरकार की स्थिरता सुनिश्चित हो पाएगी।
शिव सेना के अंदर भी यही सोच उभर रही है कि उद्धव के सिवा किसी दूसरे नेता पर आम सहमति नहीं बनेगी।
शिव सेना चाहती है कि पार्टी संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की पुण्यतिथि 17 नवंबर तक सीएम के नाम पर धुंध पूरी तरह छंट जाए।
उद्धव ठाकरे को ही गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं
कांग्रेस और एनसीपी उद्धव ठाकरे को ही महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं।
कई सूत्रों ने बताया कि दोनों दलों ने शिवसेना को भी कह दिया है कि वे उद्धव के अलावा उनकी पार्टी से कोई भी दूसरा चेहरा गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं चाहते हैं।
दोनों दलों की तरफ से इस भावना का इजहार तब हुआ है जब कहा जा रहा है कि मातोश्री में शिवसेना के दिग्गज नेता सुभाष देसाई या फिर अपने विधायक दल के नेता और ठाणे के क्षत्रप एकनाथ शिंदे को सीएम उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाने पर विचार हो सकता है।
आदित्य ठाकरे पर सहमति की कितनी गुंजाइश
वहीं, एक वरिष्ठ कांग्रेसी ने हमारे सहयोगी अखबार से कहा, ‘कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने बातचीत के दौरान शिवसेना को कह दिया कि (सरकार की) स्थिरता के लिए उद्धव को सीएम चुना जाना चाहिए।’
गठबंधन के सहयोगी इस बात पर अड़ सकते हैं, भले फॉर्म्युला ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का हो या फिर पूरे पांच साल का।
कहा जा रहा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद ही सीएम बनना नहीं चाहते हैं।
लेकिन, हकीकत यह है कि पार्टी के दूसरे दिग्गज या फिर पहली बार विधायक चुने गए 29 वर्षीय आदित्य ठाकरे पर आम सहमति नहीं बन पाएगी।
इनमें कोई भी गठबंधन के दोनों दलों को भी स्वीकार नहीं होंगे।
इसलिए भी सबसे पसंदीदा हैं उद्धव
कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण एवं पृथ्विराज चव्हाण और एनसीपी के दो पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार एवं छगन भुजबल इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।
पूरी संभावना है कि गठबंधन सरकार में इन सबको नए मुख्यमंत्री के साथ बेहद करीबी से काम करना होगा।
इस कारण भी उद्धव सर्वोच्च पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर उभरे हैं।
पार्टी लीडरशिप कांग्रेस-एनसीपी पर दबाव बना रही है कि वे 17 नवंबर तक शिवसेनाके सीएम कैंडिडेट को समर्थन देने का ऐलान कर दें।
उस दिन बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि है।
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