योगी ने खेला बड़ा राजनीतिक दांव, अति पिछड़ों-अति दलितों को मिलेगा आरक्षण

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आशीष बागची

2019 लोकसभा चुनाव से पहले उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ(CM Yogi) सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। सीएम योगी(CM Yogi) ने अति पिछड़ों और अति दलितों को आरक्षण देने की घोषणा की है। सीएम योगी ने गुरुवार को यूपी विधानसभा में कहा कि सरकार इसके लिए एक कमिटी भी बना रही है।

भाजपा के लिए नहीं है आसान

वैसे बीजेपी सरकार के लिए यह आसान नहीं है, कारण कि बीजेपी पर विपक्ष पहले ही आरक्षण समाप्‍त करने की साजिश का आरोप लगाता आ रहा है। ऐसी आशंका है कि इसके बाद विरोध तो बढ़ेगा ही दूसरे प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है। अगर सूत्रों पर भरोसा किया जाये तो कहा जा सकता है कि अति पिछड़ा और अति दलित उनके साथ पूरी ताकत से खड़ा है। उनके मंत्री और विधायक उन्‍हें यह समझाने में शायद ही सफल होंगे कि उनके हक पर कुछ खास जातियां अपना कब्‍जा जमाये हुए हैं।

बेहद अहम फैसला

गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र को संबोधित करते हुए योगी(CM Yogi) ने कहा कि अति पिछड़ा अति दलित वर्ग को आरक्षण देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि योगी सरकार का यह फैसला बेहद अहम है, क्योंकि अब तक आरक्षण को लेकर विपक्ष बीजेपी के साथ-साथ आरएसएस को घेरता रहा है। कुछ महीने पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने आरक्षण पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आरक्षण से अलगाव पैदा होता, इसे खत्म होना चाहिए।

तीखी आलोचना हुई योगी सरकार की

इसके बाद बीएसपी चीफ मायावती, कांग्रेस से लेकर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव तक ने वैद्य की इस टिप्पणी की तीखी आलोचना की थी। हालांकि वैद्य ने इसकी भी वकालत की थी कि जबतक गैरबराबरी है, तब तक आरक्षण जारी रहे।

2019 की तैयारी में जुटी है सरकार

दरअसल यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद अब लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी में जुटी भाजपा सरकार ने नया आरक्षण कार्ड खेला है। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद योगी सरकार का यह ताजा कदम माना जा रहा है।

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योगी सरकार के विकलांग जनकल्याण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बीते दिनों कहा था कि अति पिछड़ों और अति दलितों को उनका हक दिलाने के लिए सरकार वर्ष 2001 में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री द्वारा आरक्षण में आरक्षण के प्रस्‍ताव पर काम शुरू कर किया जा चुका है। यानि पिछड़े और दलितों के लिए निर्धारित कोटे से अति दलित और अति पिछड़ों का आरक्षण अलग किया जा रहा है।

सूत्रों का कहना है कि पिछड़ी जाति का 27 प्रतिशत और अनुसूचित जाति का 22.5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सभी जातियों को नहीं पा मिल रहा है। इसका खुलासा 03 अक्‍टूबर 2013 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी किया है। ऐसे में सरकार का प्रयास है कि पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में 18 प्रतिशत अति पिछड़ों के लिए तथा अनुसूचित के 22.5 प्रतिशत आरक्षण में अति दलितों के लिए अलग किया जाये।

पूर्व सीएम राजनाथ सिंह ने तैयार किया था प्रस्ताव

यानि मजबूत जातियां एक तरफ और कमजोर जातियां एक तरफ हो जायं, ताकि सभी को आरक्षण का लाभ मिल सके। वर्ष 2001 में मुख्‍यमंत्री रहते हुए वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस तरह का प्रस्‍ताव तैयार किया था,लेकिन उस समय वह किन्‍ही कारणों से लागू नहीं हो पाया था। अब सरकार की ओर से उसी पैटर्न पर अति पिछड़ों और अति दलितों को आरक्षण का लाभ दिलाने का प्रयास किया गया है।

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