भारत में अशांति फैलाने के लिए नक्सलियों को मोहरा बना रहा ड्रैगन

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डोकलाम मुद्दे पर युद्ध की गीदड़भभकी दे रहे चीन ने भारत को अस्थिर करने के लिए नक्सलियों को मोहरा बनाने की रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है। उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की इंटेलीजेंस इकाई इस ब्लूप्रिंट पर काम कर रही है। नक्सली संगठन के उच्च पदस्थ भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सेना से जुड़े अधिकारी अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर सक्रिय प्रतिबंधित अलगाववादी नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग) से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं और इस संगठन को हर तरह से मदद दे रहे हैं।

संगठन में अभी 4 हजार से ज्यादा गुरिल्ला सदस्य

उग्रवादी संगठन में अभी चार हजार से ज्यादा गुरिल्ला सदस्य हैं जिनमें कई को चीनी सेना के अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया है। नगा उग्रवादी संगठन चीन की साजिश को आगे बढ़ाते हुए बंगाल, झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को आर्थिक व हथियारों से ताकतवर बनाने में जुटा है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक नगा संगठन को चीनी सेना की इंटेलीजेंस इकाई से तस्करी के जरिये सामरिक व आर्थिक मदद दी जा रही है।

इन उग्रवादी संगठनों से संपर्क में है चीन

चीनी मिलिट्री इंटेलीजेंस इकाई से देश में जिन प्रमुख उग्रवादी-अलगाववादी संगठनों के जुड़ाव की बात सामने आई हैं उनमें एनएससीएन (खापलांग), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी , पीपुल्स रिव्यूलिशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक, भाकपा (माओवादी), कांगलेई ईयाउल कानवा लूप, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (परेश बरुआ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट , नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ असम, मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आदि शामिल हैं।

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चीन की खुफिया इकाई दे रही प्रशिक्षण

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना की इंटेलीजेंस इकाई के अफसरों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर गांव में प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है, जहां इन उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां के चांगलाना जिले में उस गांव की भौगोलिक स्थिति को चीन अपनी साजिश को परवान चढ़ाने की मुफीद मानता है। इस गांव के उत्तर में लोहित जिला, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम व दक्षिण में टिराप जिला है। इसी इलाके में नामपोंग तहसील है जिसके छोटे से गांव लंगा, जो म्यांमार सीमा के करीब है, से नगा विद्रोही अपनी समानांतर सरकार चलाते हैं।

बंगाल-झारखंड के नेता बैठक में शामिल

नामपोंग नगर से 108 किमी दूर स्थित इस गांव में कुल 20 घर हैं और आबादी महज 93 है। सुरक्षा बलों के साथ इस गांव के समीप उग्रवादियों की कई बार भिड़ंत होती रही है। इस इलाके में पांच सौ से ज्यादा उग्रवादी सक्रिय हैं। सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के गुप्तचरों की पहल पर गत जुलाई महीने में इसी गांव में उग्रवादी संगठनों के नेताओं की एक बैठक बुलाई गई थी। बंगाल-झारखंड के नक्सली नेता भी इसमें शामिल हुए थे। चीनी अधिकारियों ने बैठक में शामिल उग्रवादी-नक्सली प्रतिनिधियों से प्लान पर आगे बढने के टिप्स दिए।

कम कीमत पर हथियार मुहैया कराता है चीन

चीनी मिलिट्री इंटेलीजेंस के मेजर वाओईए जुयंगा व कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल हुए थे।भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य रामकृष्ण रावसस्ती दर पर मिलेंगे चीनी हथियार बताया जाता है कि बैठक में शामिल एनएससीएन (खापलांग) के चेयरमैन खांगो कन्याक, एन काटोवई जीमोमी, अकाहो असुमई, भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य रामकृष्ण राव और पोलित ब्यूरो सदस्य वेणुगोपाल राव को चीनी अधिकारियों की ओर से जानकारी दी गई थी कि कम कीमत पर हथियार समेत अन्य साजो समान मुहैया कराए जाएंगे।

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एनएससीएन(खापलांग) को मिला है नया नेतृत्व 30 अप्रैल 1988 को स्थापित प्रतिबंधित नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग) का संस्थापक एसएस खापलांग का इसी साल निधन हो गया। उनकी मौत के बाद गत 9 जून को संगठन का चेयरमैन चुने गए खांगो कन्याक। 19 जुलाई 1943 को जन्मे कन्याक ने 1963 में प्रतिबंधित नगा आर्मी में योगदान किया था। 25 मई 2011 को उनको एनएससीएन(खापलांग) का चेयरमैन बनाया गया था।

7 अगस्त को नक्सलियों की बैठक में सबको दी गई जानकारी

बोकारो की बैठक में प्लान पर चर्चा नक्सली सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश में हुई बैठक से लौटने के बाद नक्सली नेताओं ने झारखंड के बोकारो के पास झुमरी पहाड़ी क्षेत्र में गत सात अगस्त को बैठक कर संगठन के सदस्यों को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में नक्सली संगठन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का सदस्य अरविंद सिंह उर्फ निशांत जी भी शामिल हुआ था। बताते चलें कि पहले भी प्रतिबंधित नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (आइएएम) से नक्सलियों को चीन निर्मित हथियार मिलते रहे थे।

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