Central Government : बुलेट ट्रेन, सेंट्रल विस्टा रोककर कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ता दे

केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता रोकना 'असंवेदनशील और अमानवीय' : कांग्रेस नेता राहुल

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार Central Government को सुझाव दिया है कि वह महंगाई भत्ते में घोषित 4% की वृद्धि न रोककर बुलेट ट्रेन और सेंट्रल विस्टा परियोजनाएं रोक दे। Central Government ने कोरोना संकट के मद्देनजर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते में घोषित 4% की वृद्धि जुलाई 2021 तक रोक दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को अमानवीय करार दिया है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी Central Government पर लगातार आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना संकट से निपटने में उसका रवैया ‘असंवेदनशील और अमानवीय’ है। आज उन्होंने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता काटे जाने के फैसले का हवाला देकर यह आरोप दुहराया है। राहुल ने गुरुवार को Central Government पर लॉकडाउन में मजदूरों और असहाय आबादी का ख्याल नहीं रखने का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी का ट्वीट

‘लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है।’

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समझिए क्या कह रहे हैं राहुल

राहुल गांधी के आरोपों को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के बयान से अच्छी तरह समझा जा सकता है। सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव को मानते हुए Central Government अपने फिजूल खर्चे पर रोक लगाकर ढाई लाख करोड़ रुपये बचा सकती है जिसका इस्तेमाल संकट के इस समय में लोगों की मदद के लिए हो सकता है।

‘जले पर नमक छिड़क रही है सरकार’

उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस महामारी के संकट से पैदा हुई आर्थिक मंदी और आय की तंगी पर मरहम लगाने के बजाय मोदी सरकार जले पर नमक छिड़कने में लगी है।’ सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘उसने हाल ही में 30 लाख 42 हजार करोड़ रुपये का बजट पारित किया। बजट में आय एवं खर्चे का लेखा-जोखा स्पष्ट तौर से दिया जाता है। फिर बजट पेश करने के 30 दिन के अंदर ही मोदी सरकार सेना के जवानों, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है?’

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‘सैनिकों पर भी असर’

उन्होंने दावा किया कि महंगाई भत्ते में ‘अन्यायपूर्ण कटौती’ से लगभग 1.13 लाख सैनिकों, कर्मचारियों और पेंशनरों की तनख्वाह से सालाना 37,530 करोड़ रुपये की कटौती होगी। सुरजेवाला ने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि Central Government द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती कर जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा। इस कटौती के जरिए सेनाओं के 15 लाख सैनिकों और लगभग 26 लाख सैन्य पेंशनभोगियों के 11 हजार करोड़ रुपये काट लिये जाएंगे।’

बुलेट ट्रेन और सेंट्रल विस्टा परियोजना

उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सरकार ने आज तक 20 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली सेंट्रल विस्टा परियोजना खारिज नहीं की। न ही उसने 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना बंद की। उसने फिजूल के सरकारी खर्चों में कटौती की घोषणा भी नहीं की, जिससे 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये सालाना बच सकते हैं।’ सुरजेवाला ने सरकार से आग्रह किया कि वह इन परियोजनाओं पर रोक लगाए और ‘फिजूल खर्चे’ बंद करे। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद और मध्य दिल्ली की कई सरकारी परिसंपत्तियों के पुनर्निमाण का प्रस्ताव है।

डीए पर क्या है केंद्र का फैसला

दरअसल, Central Government ने कोरोना संकट के कारण बढ़ते वित्तीय बोझ के चलते सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में अगले साल जुलाई तक कोई वृद्धि नहीं करने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2020 में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता चार प्रतिशत बढ़ाकर 21 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। नए निर्णय से इस वृद्धि पर भी रोक लग गई है। अब अगले साल जुलाई तक महंगाई भत्ते की प्रभावी दर 17 प्रतिशत ही रहेगी। यानी, जनवरी 2020 से जुलाई 2021 के 18 महीनों तक महंगाई भत्ते में 4% की बढ़ोतरी लागू नहीं होगी।

इस फैसले का Central Government के 50 लाख कर्मचारियों तथा 61 लाख पेंशनभोगियों पर असर पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि को रोकने के इस कदम से सरकार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 और अगले वित्त वर्ष 2021-22 में कुल मिलाकर 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी। आमतौर पर इस मामले में राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार का अनुसरण करतीं हैं। राज्य सरकारों को जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ते की बढ़ी दर पर भुगतान नहीं करने से 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत होगी। कुल मिलाकर केंद्र और राज्यों के स्तर पर इससे 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।

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