विश्व कप की जीत के बाद वो भयावह दौर जिसे युवराज सिंह भुला नहीं सकते!

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भारतीय क्रिकेट टीम के युवराज​ से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। उन्होंने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी है।

इस धाकड़ बल्लेबाज को यूहीं क्रिकेट का युवराज नहीं कहा जाता है। 2007 का टी-20 विश्व कप हो गया 2011 का विश्व कप, दोनों ही सीरीज में युवराज सिंह का केवल बल्ला बोला।

2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप में युवराज सिंह की पारी को भला कौन भूल सकता है। 28 साल बाद विश्व कप भारत की झोली में आया था।

भारत को विश्व विजेता बनाने में युवराज सिंह का अहम रोल रहा। इस वर्ल्ड कप में युवराज सिंह को मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा गया।

लेकिन इसी टूर्नामेंट के बाद युवराज अपनी जिंदगी के सबसे भयावह दौर से गुजरे। उन्हें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने घेर लिया। हालांकि अपने जज्बे के दम पर युवराज इस बीमारी से बाहर निकलने में सफल रहे।

इस बात का ज़िक्र उन्होंने संन्यास घोषित करते समय हुई प्रेस कांफ्रेंस में भी किया। युवी को इंडियन क्रिकेट टीम को एंटरटेनर क्रिकेटर माना जाता था। उनमें गेंद को हिट करने की जबरदस्त क्षमता थी।

इसका असर उनके क्रिकेट करियर पर पड़ा। वह लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहे। लेकिन इस भयावह दौर से गुजरने के बाद युवराज सिंह ने क्रिकेट में जबरदस्त वापसी भी की और अपने प्रदर्शन से हर किसी पर असर छोड़ा।

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