बर्बादी की कगार पर करोड़ों टन गेहूं, संकट में किसान

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू लंबे लॉकडाउन के कारण बिहार के किसानों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो गई है

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कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश में लागू लंबे लॉकडाउन के कारण बिहार के किसानों के सामने कई समस्याएं उत्पन्न हो गई है। सबसे बड़ी समस्या खेतों में लगी गेहूं की फसल की कटाई को लेकर हो रही है, क्योंकि मजदूर नहीं मिल रहे हैं। हालांकि खेत में काम करने वाले मजदूरों को लॉकडाउन से मुक्त रखा गया है, फिर भी स्थिति में सुधार नहीं आया है।

पटना जिले के मसौढ़ी के किसान जीवन सिंह कहते हैं कि चैत्र महीना खत्म होने वाला है, खेतों में गेहूं पूरी तरह तैयार है। लेकिन, लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिल रहे हैं। जो स्थानीय मजूदर हैं, वे प्रशासन के डर से खेतों में नहीं जा रहे हैं।

[bs-quote quote=”अगर अगले कुछ दिनों में अपनी फसल नहीं काट पाए तो आने वाले समय में तेज हवाओं और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान होगा। देर से कटाई के काराण गेहूं के दाने भी प्रभावित होते हैं और इनकी चमक फीकी पड़ जाती है।” style=”default” align=”center” author_name=”किसान यदुनाथ सिंह” author_job=”पुनपुन प्रखंड”][/bs-quote]

किसानों और मजदूरों को लॉकडाउन से मुक्त-

https://youtu.be/Dc15IzuH_3Q

 

इससे पहले, सरकार ने खेतों में काम करने के लिए किसानों और मजदूरों को लॉकडाउन से मुक्त कर दिया है और जिलाधिकारियों और अन्य अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। हालांकि सरकार ने किसानों और मजदूरों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई प्रकार के निर्देश भी दिए हैं।

रबी की फसलें पकने के बाद भी खेतों में पड़ी हुई हैं, जिसको लेकर किसान चिंतित हैं। जिन किसानों के पास हार्वेस्टर है, उनको भी ऑपरेटर नहीं मिल रहे हैं। किसान कहते हैं कि इस मौसम में अन्य राज्यों से हार्वेस्टर भी यहां आ जाते थे और भाड़े पर आसानी से उपलब्ध हो जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस साल कोई हार्वेस्टर यहां नहीं पहुंचा है।

किसानों पर बड़ा संकट-

यही हाल दियारा क्षेत्र के किसानों का भी है। दानापुर के जसमौत, हथियाकांध, सराय सहित दियारा क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जिन किसानों के पास दो-तीन एकड़ जमीन है, वे मजदूरों से ही गेहूं कटवाते हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें पशुओं के लिए सालभर का चारा भी चाहिए। ऐसे में मजदूरों का नहीं मिलना परेशानी का सबव बन गया है। बड़े किसान हैं तो वे पशुओं के लिए जितना चारा चाहिए, उतनी फसल छोड़कर बाकी मशीन से कटा लेते हैं। इसका फायदा यह होता है कि कटाई के साथ-साथ गेहूं निकल जाता है।

[bs-quote quote=”ऐसे सभी हार्वेस्टर चालक और ऑपरेटर जो दूसरे राज्यों या जिलों से आते हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी रबी फसलों की कटाई में कोई बाधा नहीं होगी।” style=”default” align=”center” author_name=”एन सरवन कुमार” author_job=”कृषि सचिव “][/bs-quote]

 

किसान हालांकि अपने संकट की ही बात करते हैं। वैशाली जिले के सहदेई गांव के युवा किसान देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि पुलिस की मार की डर से कोई कोई मजदूर खेत में नहीं जा रहा है। अन्य राज्यों से लौटे मजदूरों को हमलोग ही नहीं चाहते कि उनसे खेतों में काम करवाए।

उन्होंने बेबाक कहा, ‘हाल ही में बाहर से अपने गृह राज्य में आए प्रवासी मजदूरों से हमलोग इतने डरे हुए हैं कि कटाई के लिए खेत में वैसे लोगों से काम नहीं करवा सकते, क्योंकि उन्हें कोरोना संदिग्ध माना जा रहा है।’

 

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