…ताकि भगवान राम के पैर पखारे सरयू

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यूपी के अयोध्या (Ayodhya) में प्रस्तावित भगवान राम की 108 मीटर ऊंची भव्य प्रतिमा लगाने के लिए सरयू नदी के इस पार क्वीन हो मेमोरियल के पास की जगह चुनी गई है। ‘

नव्य अयोध्या’ प्रॉजेक्ट के तहत पहले यह प्रतिमा नदी के दूसरी तरफ लगाने की योजना थी। अब यह भी तय हुआ है कि राम की पैड़ी से सरयू की धारा मोड़कर प्रतिमा तक लाई जाएगी, जो भगवान के पैर पखारेगी।

प्रतिमा लगवाने का यह फैसला अयोध्या में पिछले वर्ष दीपोत्सव मनाने के बाद ही हो गया था। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया है कि राम की प्रतिमा अब सरयू पुल के बीच स्थित कोरिया की क्वीन हो के स्मारक के पास लगाई जाएगी। इस स्थल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अयोध्या से गुजरने वाले हर शख्स को प्रतिमा नजर आएगी।

प्रतिमा के लिए तय हुआ आर्किटेक्ट

अयोध्या में भगवान राम की 108 मीटर ऊंची भव्य प्रतिमा लगाने की योजना के मास्टरप्लान में सबसे अधिक जोर इस पर है कि प्रतिमा और आस-पास का क्षेत्र अध्यात्म की मौलिकता से ओत-प्रोत लगे, इसलिए वहां सरयू की धारा भी लाई जाएगी। राम की पैड़ी से सरयू की धारा लाने के लिए सिंचाई विभाग को विशेषज्ञ इंजिनियरों के जरिए कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। प्रॉजक्ट का आर्किटेक्ट तय किया जा चुका है।

प्रत‍िमा के पास बनेगा रामलीला स्‍थल

प्रतिमा के पैडस्टल के पास आधुनिक म्यूजियम, ऑडिटोरियम और आर्ट गैलरी भी बनेगी, जिसमें विभिन्न देशों की रामलीलाओं का मंचन होगा। प्रॉजेक्ट के पर्यावरणीय अनुकूलन के लिए जल्द नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सहित अन्य संस्थाओं से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू होगी। सूत्रों की मानें तो प्रॉजक्ट पूरी तरह शुरू होने में अभी करीब चार महीने लग जाएंगे। इसके लिए यूपी राजकीय निर्माण निगम को निर्माण एजेंसी बनाए जाने का फैसला लिया गया है।

योजनाओं के समन्वय के लिए बनेगी परिषद

अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र-प्रदेश सरकार ने योजनाओं का मुंह खोल दिया है। केंद्र की स्वदेश और प्रसाद योजना के अंतर्गत जहां 300 करोड़ से अधिक की परियोजनाएं चल रही हैं, वहीं पीडब्लूडी, ऊर्जा और नगर विकास विभाग की भी कई योजनाओं के जरिए सौंदर्यीकरण से लेकर बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने पर काम चल रहा है।

इसके बाद ‘नव्य अयोध्या’ का यह नया प्रॉजेक्ट प्रस्तावित है, जिसमें पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म की सभी संभावनाओं को विकसित कर अयोध्या की सूरत बदलने पर काम होना है। अलग-अलग विभागों की योजनाओं को एक छतरी के नीचे लाने के लिए जल्द मथुरा की तर्ज पर अयोध्या तीर्थ विकास परिषद का भी गठन किया जाएगा।साभार

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