वीडियो : क्या हम मेडिकल इमरजेंसी के दौर में आ गये है?

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क्या हम मेडिकल इमरजेंसी के दौर में आ रहे है, ये बड़ा सवाल है। जी हां, हम बात कर रहे देश में कहर बरपा रहे स्मॉग की। स्मॉग ने दिल्ली और उससे सटे शहरों में असर दिखाना शुरु कर दिया है। दिन हो या रात इलाकों में छाये घने काले कोहरे में छिपे कई जहरीले कण मौजूद हैं जो आपको बीमार नहीं बहुत बीमार कर सकते हैं।
हम छोटी छोटी दूरी के लिए भी गाड़ियों का प्रयोग करते हैं
सांस लेने का हक तो सभी देशवासियों को है और अपने इस हक के लिए हमें और आपको आगे आने की जरुरत है क्योंकि, सिर्फ सरकार नहीं सभी को मिलकर योगदान करना होगा। हम छोटी छोटी दूरी के लिए भी गाड़ियों का प्रयोग करते हैं।

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गाड़ियों ने हमारे फेफड़ों को कमजोर कर दिया है
पैदल चलना नहीं चाहते। सरकार को अन्य देशों की तरह इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चलन में लाने का प्रयास करना चाहिए। देश में मौजूद पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों ने हमारे फेफड़ों को कमजोर कर दिया है। इलेक्शन के समय कई मुद्दों को लेकर राजनीतिक दल लुभावने वादे करते हैं लेकिन देश के पर्यावरण और जनसंख्या पर कोई वादा नहीं करता। पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ों को राखी बांधने वाले पीके गुप्ता ने बताया कि मैराथन को छोड़कर देश के पर्यावरण पर ध्यान देने की जरुरत है।
सुबह की सैर को भी फिलहाल टाल दें
अगर लखनऊ के लालबाग में देखें तो 400 से ऊपर और राजाजीपुरम में प्रदूषण का इंडेक्‍स सौ के मुकाबले 500 मापा गया है जो हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। डाक्‍टर बीपी सिंह ने बताया कि स्मॉग में मौजूद जहरीले कण शरीर में पहुंच कर कैंसर और दमा जैसी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। इसलिए अनावश्यक घर से न निकलें, सुबह की सैर को भी फिलहाल टाल दें।
100 से अधिक है तो खतरनाक है
डाक्‍टर बीपी सिंह ने बताया कि लखनऊ की हवा में मौजूद जहरीले कणों की मात्रा 50 इंडेक्‍स से कम है तो हेल्दी है, 50 से 100 के बीच है तो ठीक है, 100 से अधिक है तो खतरनाक है।
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इन दिनों यह 468 है जो हमारे लिए बेहद खतरनाक है। 250 से ज्यादा जहरीले केमिकल हवा में मिले हुए हैं। एक बार की सांस में 27 सिगरेट के बराबर का प्रदूषक तत्‍व शरीर में जा रहा है। इस स्मॉग का कारण लगातर बढ़ रहा औद्योगीकरण,
लगातार बढ़ती आबादी, वाहनों का अधिक उपयोग और खेतों में पड़़ा अवशिष्‍ट जलाया जाना है।नासा ने जो तस्वीर जारी की है उसमें दिख रहा है कि अमेरिका और आस्ट्रेलिया के जंगलो में वाली आग ने दुनिया के प्रदूषण का कारण है जबकि भारत में किसान अपनी फसल जला रहे हैं, इसलिए यह हाल है।
किसान अपनी फसलें जला रहे हैं
दिल्ली और आसपास के इलाकों में खासतौर से किसान अपनी फसलें जला रहे हैं जिससे स्मॉग की समस्या हो रही है। अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाये गये तो आने वाली पीढ़ी के लिए कैसा पर्यावरण देंगे, यह समझना होगा।
   (साभार – भारत समाचार और बृजेश मिश्रा )
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