जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का हिंसक दौर खत्म : शाह

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए, पूर्वोत्तर भारत और जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद का हिंसक दौर समाप्त हो गया है और शांति व विकास का दौर शुरू हो गया है।

पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे पश्चिमी असम के कोकराझार में एक सभा को संबोधित करते हुए, शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के साथ, जम्मू और कश्मीर में हिंसा को रोक दिया गया है, जबकि ऐतिहासिक बोडो शांति समझौते के साथ बोडो टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) में हिंसक चरण समाप्त हो गया है, जिसमें कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी के चार जिले शामिल हैं।

गृहमंत्री ने कहा, “जम्मू और कश्मीर में (नवंबर में) और असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) चुनावों में (दिसंबर के शुरुआती दिनों में) कोई हिंसा नहीं हुआ और बड़ी संख्या में लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।”

‘पहले सेमीफाइनल जीता, अब फाइनल जीतना है’-

शाह ने कहा कि बीटीसी चुनावों की सफलता एक सेमीफाइनल है और भाजपा फाइनल मैच-असम विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी, जो अप्रैल-मई में संभावित है।

कोकराझार सार्वजनिक रैली का आयोजन रविवार बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए किया गया था।

नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के चार गुटों के 1,615 कैडरों ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पिछले साल 30 जनवरी को अपने हथियार डाल दिए थे।

गृहमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के कई वर्षो के दौरान 5,000 से अधिक लोग मारे गए थे और अब ऐतिहासिक बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद बीटीआर और आसपास के क्षेत्रों में पूर्ण शांति बनी हुई है और पिछले महीने के बीटीसी चुनाव में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपना वोट डाला।

असम में बोले शाह-

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शांति की स्थापना की गई है और तेजी से विकास अब असम में ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में चल रहा है।

उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो अब तक 40 बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा कर चुके हैं। यह सब दिखाता है कि मोदी सरकार इस क्षेत्र को कैसे प्राथमिकता दे रही है।”

उन्होंने कहा कि बोडो समझौते के तहत 5,000 करोड़ रुपये का पैकेज बीटीआर और आसपास के क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जबकि बोडो और गैर-बोडो लोगों के लिए कल्याण और विकास योजनाएं शुरू की जा रही हैं।

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