‘आमिर खान और किरण राव के तलाक का विषय ज्यादा ध्यान देने लायक नहीं’

आमिर खान और किरण राव का तलाक

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मैंने सोचा था कि आमिर खान और किरण राव के तलाक से जुड़े विषय पर मैं कुछ नहीं लिखूंगा। एक बेहद छोटी टिप्पणी कर चुका था। मेरी नजर में ये मसला उससे अधिक ध्यान देने लायक नहीं था। तभी आमिर और किरण का एक वीडियो प्रसारित हुआ। उस वीडियो में बहुत कुछ ऐसा था जो सोचने लायक था। उनका बयान पढ़ने पर मामला जितना सहज और सुलझा हुआ लग रहा था, वीडियो उतना ही असहज करने वाला था।
आमिर खान अच्छे अभिनेता हैं और जिंदगी के इस मुश्किल मोड़ पर चहकते हुए बता रहे थे कि बहुत कुछ पहले जैसा होगा। वो और किरण मिल कर बच्चे की परवरिश करेंगे। पानी फाउंडेशन भी उनके बच्चे जैसा है। वहां भी दोनों साथ रहेंगे। किरण चुपचाप मुस्कुरा रही थीं। उनकी मुस्कान में बेबसी थी। उन्होंने दो-तीन बार आमिर की तरफ बेबस मुस्कान के साथ देखा। कहा कुछ नहीं। शायद कहतीं तो बांध टूट जाता। मंच बिखर जाता। स्क्रिप्ट धरी रह जाती।
दरअसल प्रेम संबंधों की दुनिया जटिल होती है। इसमें काफी उतार-चढ़ाव होते हैं। इसीलिए राजकमल चौधरी ने कहीं लिखा है कि प्रेम मर जाता है। करुणा बची रहती है। ममत्व बचा रहता है। इसी करुणा और ममत्व की बुनियादी पर संबंध निभाए जाते हैं। जीए जाते हैं। जो जीया न जा सके, वो संबंध कैसा।
मर्द और औरत के रिश्ते की बुनियाद प्रेम हो तो भी बराबरी नहीं होती। तब भी नहीं जब स्त्री आर्थिक और सामाजिक हैसियत में मजबूत हो। पितृसत्तात्मक व्यवस्था में पलड़ा हमेशा मर्दों की तरफ झुका रहता है। भले ही वो हैसियत में कमतर क्यों न हो।
अगर मर्द अधिक कामयाब हो तो स्त्री की प्राथमिक जिम्मेदारी बच्चों की देखरेख होती है। उसकी अपनी रचनात्मकता, उसके सपने, उसकी जिंदगी सबकुछ पति, बच्चों और परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। वो उनकी कामयाबी में अपने सपनों को जवान होते देखती है।
ऐसे में उम्र के उस पड़ाव पर जब उसे साथ की सबसे अधिक जरूरत हो, उसका हमसफर हाथ छुड़ाते हुए उदारता और दोस्ती की परिभाषा समझाए तो ये बड़ा अजीब सा लगता है। वही अजीब सी मुस्कुराहट किरण के चेहरे पर थी। जैसे वो मुस्कुराने को विवश हों। और कोई हौले से पूछता तो वो फफक कर रो देतीं।
प्रेम सहज और सरल होता है। प्रेम में मिलन नहीं हो तो खालीपन का अहसास बना रहता है। लेकिन प्रेम में मिलन हो और फिर बिछुड़ना पड़े तो यह भयावह होता है। मसला सिर्फ ट्यूनिंग का हो तो भी बिछुड़ना आसान नहीं होता है। और अगर किसी ने किसी और के साथ रिश्ता जोड़ने का फैसला लिया हो तब तो जो पीछे छूट जाता है उसकी जिंदगी ठहर सी जाती है। कई बार ठहराव लंबा होता है। मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक – तीनों ही स्तर पर व्यक्ति बिखरता है।
मुझे लगता है कि आमिर खान और किरण को ये वीडियो जारी नहीं करना चाहिए था। प्रेस विज्ञप्ति ने जिन सवालों को सुला दिया था, इस वीडियो ने उन्हें जिंदा कर दिया है। ये सवाल आमिर का पीछा करेंगे।

Samarendra Singh के फेसबुक वॉल से…

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