अखिलेश सिंह थे रायबरेली के रॉबिनहुड, कर दी थी कांग्रेस की नींद हरम

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रायबरेली की सियासत में अखिलेश सिंह की तूती बोलती थी। रायबरेली में गांधी परिवार की लहर हो या समाजवाद और बहुजन हिताय के नारा या फिर हो कमल खिलने का दावा, अखिलेश सिंह को कोई चुनौती नहीं दे सका।

अखिलेश सिंह ने हर तरह की लहर, दांव और सियासत को अपने सामने बौना साबित कर दिया था। मंगलवार सुबह अखिलेश सिंह का लखनऊ के पीजीआई में निधन हो गया। वो लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे।

बोस को मानते थे आदर्श-

अखिलेश सिंह सुभाष चंद्र बोस को अपना आदर्श मानते थे। उनका मानना था कि सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। वह अब भी जिंदा है। इसके लिए उन्होंने विधानसभा तक में आवाज उठाई थी।

एक समय था ​जब गरीब आदमी को अखिलेश सिंह से पनाह, रहम और राहत मिलती थी तो दूसरी तरफ शहर के सभ्य, शिक्षित और पैसे वाले इस नाम से खौफ खाते थे।

90 के दशक में सियासत में कदम रखने वाले अखिलेश सिंह ने रायबरेली में यूं सियासी पकड़ बनाई थी कि गांधी परिवार की नींद तक हराम हो गई थी।

कर दी थी गांधी परिवार की नींद हराम-

2004 में सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने आईं तो अखिलेश सिंह ने अपने चचेरे बड़े भाई अशोक सिंह को मैदान में उतारकार कांग्रेसी नेताओं को परेशान कर दिया था।

प्रियंका गांधी 2004 में अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार के लिए अखिलेश सिंह के इलाके से गुजरीं तो सड़कें सूनी पड़ी थी। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था।

इसके बाद प्रियंका ने रायबरेली में डेरा जमा दिया था। तब जाकर कहीं सोनिया गांधी को जीत हासिल हुई थी। अखिलेश सिंह का ऐसा खौफ था कि कांग्रेसी उनके डर से पोस्टर भी नहीं लगा पाते थे।

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