ढाई घंटे में कलेक्टर से राजनेता ​फिर मुख्यमंत्री बने थे अजीत जोगी

इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहे, आईएएस बने

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रायपुर : 20 वर्ष के युवा छत्तीसगढ़ ने आज अजीत जोगी Ajit Jogi के रूप में अपना पिता खो दिया। उनके बेटे अमित जोगी ने अपने ट्विटर पर भावुक संदेश लिखा—’20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया। केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं,अपना पिता खोया है। माननीय Ajit Jogi ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर,ईश्वर के पास चले गए।गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा,हमसे बहुत दूर चला गया।’ यह बेहद ही भावनात्मक शोक संदेश था। ऐसे ही अनेक संदेश Ajit Jogi के निधन के बाद ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया माध्यमों में दिखाई दिये। इससे पता चलता है कि लोगों का उनसे कितना प्यार था।

कुछ दिनों से हालत गंभीर थी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री Ajit Jogi की हालत बीते कुछ दिनों से गंभीर बनी हुई थी।
जोगी 9 मई से कोमा में थे। इमली का बीज गले में अटकने की वजह से उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद 27 मई की रात भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा। हालांकि, अगले ही दिन उनकी सेहत में थोड़ा सुधार देखा गया।

आज दोबारा दिल का दौरा पड़ा

जब शुक्रवार को उन्हें दोबारा दिल का दौरा पड़ा तो रायपुर के श्रीनारायणा अस्पताल की ओर से एक मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया। इसमें बताया गया कि जोगी परिवार की सहमति लेकर डॉक्टरों ने उन्हें एक विशेष इंजेक्शन लगाया है। यह बहुत ही रेयर किस्म का इंजेक्शन है। इसका इस्तेमाल छत्तीसगढ़ में बहुत कम हुआ है।

ब्रेन में हलचल नहीं हुई

जोगी के ब्रेन में कोई हलचल नहीं हो रही थी। शुक्रवार को तीसरी बार हार्ट अटैक आने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें सीपीआर यानी कार्डियो पल्मनरी रेस्यूसाईटेशन भी दिया। यह धड़कन रुक जाने की स्थिति में दिया जाता है। फिर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।

लंबे समय तक कांग्रेस में रहे

अलग छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने जोगी अपने अंतिम समय में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। उन्होंने खुद ही इस पार्टी का गठन किया था। हालांकि, इससे पहले उन्होंने कांग्रेस में लंबी पारी खेली। आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए जोगी राज्य विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य रहे।
लेकिन उन्होंने राजनीति में ऐसी छाप छोड़ी है जो सदियों तक याद की जाती रहेगी।

इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट रहे

Ajit Jogi का पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पेंड्रा में 29 अप्रैल, 1946 को उनका जन्म हुआ। वे बीई मैकेनिकल में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। फिर रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में वे 1967-68 में लेक्चरर रहे। बाद में वे आईएएस बने। 1974 से 1986 तकरीबन 12 साल तक सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर में कलेक्टर रहे।

2016 में नई पार्टी बनाई

2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो Ajit Jogi पहले मुख्यमंत्री बने। वे 2003 तक सीएम रहे। 2016 में कांग्रेस से बगावत कर उन्होंने अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बना ली। कहा जाता है कि कलेक्टर पद से इस्तीफा देने और कांग्रेस की सदस्यता लेने में जोगी को मात्र ढाई घंटे का वक्त लगा था।

अनेकों किस्से चौंकाते हैं

Ajit Jogi के पूरे जीवन के सफर में अनेकों ऐसे किस्से हैं जो हर किसी को चौंकाते हैं। आदिवासी समाज से आने वाले अजीत जोगी गांव की गलियों में नंगे पांव पले बढ़े और मिशनरी की मदद से शिक्षा पूरी कर पहले इंजीनियरिंग फिर यूपीएससी की परीक्षा पास कर कलेक्टर बने। जोगी ने एक ही जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव देखे जिसपर पहली नजर में भरोसा करना मुश्किल लगता है। उनसे जुड़े तीन किस्सों का ही जिक्र काफी है।

राजीव गांधी के बेहद करीबी थे

बताया जाता है कि Ajit Jogi जब रायपुर के जिला कलेक्टर थे तब राजीव गांधी पायलट हुआ करते थे। राजीव गांधी की फ्लाइट जब कभी रायपुर में लैंड होती तो तत्कालीन जिला कलेक्टर अजीत जोगी खुद उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट जाया करते थे। उस वक्त राजीव भी यंग थे और जोगी भी। इस वजह से दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती जैसा रिश्ता बन गया था। इस तरह एक जिले के कलेक्टर अजीत जोगी की पहुंच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आवास तक हो चुकी थी।

कलेक्टर से राजनेता बने

बतौर इंदौर के कलेक्टर अजीत जोगी ग्रामीण इलाके के दौरे पर गए थे। रात में जब वह घर लौटे तो पत्नी रेणु ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया था। पहले तो जोगी को लगा कि भला पीएमओ से किसी कलेक्टर को क्यों कॉल आएगा। लेकिन अगली सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पीए ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने जोगी से कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आप तत्काल कलेक्टर पद से इस्तीफा दे दें। यह सुनते ही जोगी थोड़े घबरा गए। लेकिन अगले ही वाक्य में पीएम के पीए ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं आप मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए नॉमिनेशन करें। उनसे कहा कि रात 12 बजे तक दिग्विजय सिंह उन्हें लेने इंदौर पहुंचेंगे। सुबह 11 बजे तक इस्तीफे की सारी औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी। कलेक्टर पद से इस्तीफा देने और कांग्रेस की सदस्यता लेने में करीब ढाई घंटे का वक्त लगा। इस तरह अजीत जोगी कलेक्टर से राजनेता बने।

जोगी की वजह से टूटी सगाई

यूं तो अजीत जोगी जनाधार वाले नेता नहीं माने जाते रहे, लेकिन कुछ समाज के बीच उनकी अच्छी पकड़ रही। इसकी बानगी 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान अखबारों में प्रकाशित एक रिपोर्ट से होती है। अजीत जोगी थे तो आदिवासी समाज से थे, लेकिन अनूसुचित श्रेणी में आने वाला सतनामी समाज भी उन्हें अपना नेता मानता था। उस दौर के अखबारों में एक खबर छपी थी कि अजीत जोगी पर बहस के चलते लड़का-लड़की की सगाई टूट गई थी। दरअसल, बात यह थी कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव हारने के बाद अजीत जोगी महासमुंद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर उनके विपरीत बीजेपी के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल थे।

दो परिवारों में हुआ झगड़ा

दोनों परिवारों के बीच सगाई की रस्म चल रही थी। भोजन का दौर चल रहा था। इसी दौरान लड़की पक्ष के लोगों ने नॉर्मल बातचीत में लड़के वालों से पूछ लिया कि इस बार के चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट से किसका पलड़ा भारी है। लड़के वालों ने कहा कि अजीत जोगी महासमुंद से चुनाव हार रहे हैं। यह बात लड़की वालों को नागवार गुजरी। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि लड़की वालों ने कहा कि जो परिवार अजीत जोगी का विरोधी है वे उनके साथ रिश्ता नहीं करेंगे। गांव वालों के बीच-बचाव से दोनों परिवारों का झगड़ा तो टल गया, लेकिन सगाई टूट गई। हालांकि अजीत जोगी यह चुनाव जीत गए थे।

चुनाव प्रचार के दौरान हुई दुर्घटना

दिलचस्प बात यह है कि इस लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अजीत जोगी की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें उनके शरीर के कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर दिया था। दुर्घटना की वजह से अजीत जोगी प्रचार नहीं कर सके लेकिन फिर भी वह जीते थे।

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