…तो अखिलेश मायावती नहीं कांग्रेस के साथ जा सकती है RLD?
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सियासी घमासाम मच गया है। एसपी और बीएसपी ने 25 साल बाद एक बार हाथ मिलाते हुए यूपी में ऐतिहासिक गठबंधन का ऐलान किया है। दोनों ने गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखा है, वहीं अन्य संभावित सहयोगी दलों के लिए सिर्फ 2 सीटें छोड़ी हैं।
इस तरह, इस गठबंधन में अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने की गुंजाइश भी करीब-करीब खत्म हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, अब आरएलडी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी और वह कांग्रेस के साथ जुड़ सकती है।
ये हो सकती है वजह
आरएलडी भी गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती थी और एसपी भी ऐसा ही चाहती थी। लेकिन असल पेच सींटों का फंसा। दिल्ली में अखिलेश यादव और मायावती की मुलाकात के बाद राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने लखनऊ में एसपी अध्यक्ष से मुलाकात की थी।
इस मुलाकात में जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी की 5 लोकसभा सीटों पर दावा पेश किया था। इनमें बागपत, अमरोहा, हाथरस, मुजफ्फरनगर और मथुरा लोकसभा सीटें थीं। सूत्रों के मुताबिक, मायावती किसी भी कीमत पर आरएलडी को 2 सीटों से ज्यादा देने के लिए राजी नहीं थी। अब जब, एसपी-बीएसपी ने अन्य संभावित दलों के लिए सिर्फ 2 सीटें छोड़ी हैं जो आरएलडी को शायद ही मंजूर हो।
पहले भी कांग्रेस और आरएलडी कर चुके हैं गठबंधन
कांग्रेस और आरएलडी यूपी में पहले भी गठबंधन करके चुनाव लड़ चुकी हैं। अभी वह राजस्थान में कांग्रेस सरकार का हिस्सा भी है। लिहाजा दोनों को फिर साथ आने में कोई समस्या नहीं है। आरएलडी का जो भी प्रभाव है, वह पश्चिमी यूपी तक ही सीमित है। पिछले लोकसभा चुनाव में तो पार्टी खाता तक नहीं खोल पाई थी। हालांकि, बाद में कैराना में हुए उपचुनाव में एसपी और बीएसपी के समर्थन से आरएलडी उम्मीदवार की जीत हुई।
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